सात वर्षों में आयकर में इस बार सबसे तेज वृद्धि
प्रत्यक्ष कर प्राप्ति में पिछले सात साल में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। नोटबंदी का इसमें बड़ा योगदान माना जा रहा है।
सात वर्षों में आयकर में इस बार सबसे तेज वृद्धि |
यही वजह है कि आयकर विभाग चालू वित्त वर्ष के लिए तय प्रत्यक्ष कर वसूली लक्ष्य का आधे से अधिक राजस्व पहले ही प्राप्त कर चुका है। उसकी वसूली 6.63 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल गई है।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। सीबीडीटी की ‘‘नोटबंदी का प्रभाव’’ विषय पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि नवम्बर 2016 में 500 रुपए और 1,000 रुपए को चलन से हटाए जाने का परिणाम यह हुआ कि बड़ी मात्रा में अहम सूचना और आंकड़े विभाग को उपलब्ध हुए जिनके आधार पर की गई प्रवर्तन कार्रवाई से कर चोरी के खिलाफ बड़ी सफलता मिली।
इन सूचनाओं के आधार पर कर विभाग ने बड़ी संख्या में जांच और सव्रे की कार्रवाई भी की। सीबीडीटी की यह रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक (15 नवम्बर 2018 तक) प्रत्यक्ष कर में सकल राजस्व प्राप्ति 6.63 लाख करोड़ रुपए रही है। यह राशि एक साल पहले की इसी अवधि में हुई वसूली से 16.4 प्रतिशत अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ‘‘नोटबंदी का सकारात्मक असर है।’’ वित्त वर्ष 2018- 19 के लिए प्रत्यक्ष कर प्राप्ति का 11.5 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है। आयकर विभाग के लिए लक्ष्य को हासिल करने के लिए चार माह का समय बचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान दाखिल की गई आयकर रिटर्न की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2013- 14 में जहां 3.79 करोड़ रिटर्न जमा कराई गई वहीं 2017- 18 में यह संख्या 81 प्रतिशत बढ़कर 6.87 करोड़ तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर आधार को व्यापक बनाने में काफी मदद मिली है। इस दौरान न केवल आईटीआर रिटर्न की संख्या बढ़ी है बल्कि रिटर्न भरने वाले नए करदाताओं की संख्या 2017- 18 में 1.07 करोड़ तक पहुंच गई। इससे पिछले साल यह 85.51 लाख थी।
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