अच्छे दिन का इंतजार, वित्त मंत्री पेश करेंगे बृहस्पतिवार को भरोसे व उम्मीदों का बजट

Last Updated 01 Feb 2018 03:44:43 AM IST

मोदी सरकार का पांचवां बजट उम्मीदों वाला बजट होगा. पिछले चार वर्षो में केंद्र सरकार ने सिस्टम सुधारने के जो प्रयास किए हैं उसकी झलक बृहस्पतिवार को पेश होने वाले बजट में दिखेगी.


केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

जीएसटी लागू होने के बाद बजट में वस्तुओं की कीमतें घटने या बढ़ने का आकषर्ण तो नहीं होगा लेकिन आयकर में छूट देने से वेतन भोगियों को राहत जरूर मिल सकती है. इस बजट में जेटली के लिए राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ आर्थिक विकास की रफ्तार में आने वाली अड़चनों का समाधान ढूंढना बड़ी चुनौती होगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली कल सुबह लोकसभा में अपना पांचवां पूर्ण बजट पेश करेंगे. अगले साल आम चुनाव होने के कारण वह लेखानुदान पेश करेंगे. इसलिए देश की जनता इसी बजट से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठी है. लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था में एक बड़ा भूचाल आने के कारण सरकार के पास इतनी गुंजाइश नहीं है कि देशवासियों को रेवड़ियां बांट सके इसलिए बजट संभावनाओं पर केंद्रित होगा. हालांकि जेटली के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है. अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों व रेटिंगग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है. जेटली ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में घटाकर जीडीपी के 3.2 फीसद पर लाने का लक्ष्य रखा था. आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में घटाकर तीन फीसद किया जाना है.

अरुण जेटली आयकरदाताओं को राहत दे सकते हैं. अभी 2.5 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री है. ढाई से पांच लाख रुपए तक की आय पर पांच फीसद टैक्स देना होता है. वित्त मंत्री आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर सकते हैं. इससे करीब 1.35 करोड़ आयकर दाताओं को राहत मिलेगी. सबसे अधिक आयकरदाता इसी स्लैब में आते हैं. दूसरा विकल्प पांच लाख से 10 लाख के बीच के स्लैब में आने वाले करदाताओं के लिए है. इस स्लैब में 20 फीसद आयकर वसूला जाता है. एक विकल्प यह हो सकता है कि सरकार पांच लाख से 7.50 लाख रुपए के स्लैब में आने वालों से 10 फीसद आयकर वसूले और 7.50 लाख से लेकर 10 लाख रुपए के स्लैब को 20 फीसद ही रहने दे.

किसानों के लिए बड़ी योजना
किसानों के लिए सरकार एक बड़ी योजना की घोषणा कर सकती है. इसके तहत यदि किसानों को उनकी उपज का सही दाम न मिले और उन्हें एमएसपी से कम में बेचना पड़े तो सरकार किसानों को एमएसपी के बराबर कीमत दे सकती है. इस योजना से सरकार पर करीब 40,000 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ेगा. लेकिन मौजूदा हाल में किसानों को संकट से बाहर निकालने और उनकी आय दोगुना करने के अलावा सरकार के पास कोई चारा नहीं है.

पिछले आम बजटों की कुछ खास बातें
►  आजादी के बाद अब तक पेश हुए हैं 87 आम व अंतरिम बजट
►  आरकेएस चेट्टी ने 26 नवम्बर, 1947 को पेश किया था पहला बजट
►  आजादी के बाद साढ़े सात महीने के लिए पेश किया गया था यह बजट
►  मात्र 171.85 करोड़ का था यह बजट
►  वर्ष 2017-18 का आम बजट था कुल 21.46 लाख करोड़ रुपए राजस्व का
►  25.13 लाख करोड़ रुपए के व्यय का  किया गया था प्रावधान
►  जीडीपी का 3.2 फीसद यानी 5.46 लाख करोड़ रखा गया था वित्तीय घाटा
►  राजस्व घाटे का लक्ष्य 1.9 फीसद था
►  सबसे अधिक बजट मोरारजी देसाई ने किए हैं पेश
►  उनके नाम कुल 10 बजट पेश करने का है रिकार्ड
►  पी. चिदम्बरम को नौ और प्रणव मुखर्जी को है आठ बजट पेश करने का श्रेय

समय और तारीख में हुए बदलाव
पहले बजट फरवरी माह की अंतिम तिथि और शाम को पांच बजे पेश किया जाता था. यह परंपरा 1999 तक जारी रही. ब्रिटिश काल की यह परंपरा 2001 में टूटी और अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश किया. नरेन्द्र मोदी सरकार ने फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश करने की परंपरा को तोड़ते हुए 2017 से इसे एक फरवरी को पेश करना शुरू किया.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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