29 उत्पादों, 54 सेवाओं पर जीएसटी दरें घटीं, रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा

Last Updated 18 Jan 2018 08:42:17 PM IST

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने आज पुराने वाहनों, कन्फेक्शनरी और बायोडीजल सहित 29 वस्तुओं पर कर की दर घटाने का फैसला किया.


वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में जीएसटी परिषद की बैठक.

वहीं साथ ही परिषद ने जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल करने पर विचार विमर्श किया ताकि छोटी इकाइयों पर अनुपालन का बोझ कम हो सके. इसके अलावा कुछ जॉब वर्क्‍स, दर्जी की सेवाएं और थीम पार्क में प्रवेश सहित 54 श्रेणी की सेवाओं पर जीएसटी की दर घटाई गई है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद की गुरुवार को दिल्ली में हुई 25वीं बैठक में 29 उत्पादों और 54 श्रेणियों की सेवाओं पर कर की दरें घटाने का भी फैसले किए गए. जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं.

बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि परिषद की अगली बैठक में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन एटीएफ और रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है.

अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए परिषद ने इस विचार पर चर्चा की कि पंजीकृत इकाइयां जीएसटीआर 3 बी फॉर्म में जीएसटी रिटर्न दाखिल करना जारी रखें. वहीं इसके साथ ऐसी प्रणाली की ओर बढा जाए जिसमें आपूर्तिकर्ता के इन्वॉयस मे लेनदेन का ब्योरा आ जाए.

जेटली ने कहा कि इस बारे में राज्यों को लिखित में जानकारी भेजने के बाद नई प्रक्रिया को जीएसटी परिषद की अगली बैठक में अंतिम रूप दिया जा सकता है. जीएसटी परिषद की अगली बैठक की तारीख अभी तय नहीं की गई है.



वित्त मंत्री ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों को राज्यों के बीच 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के सामान या माल की आपूर्ति के लिए अपने साथ इलेक्ट्रानिक वे बिल या ई-वे बिल रखना होगा. यह व्यवस्था एक फरवरी से क्रियान्वित की जा रही है. इससे कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि 15 राज्यों ने राज्य में वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने का फैसला किया है.

जीएसटी को पिछले साल एक जुलाई से लागू किया गया था, लेकिन ई-वे बिल के प्रावधान को आईटी नेटवर्क की तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से टाल दिया गया था.

एक बार ई-वे बिल प्रणाली लागू होने के बाद कर अपवंचना काफी मुश्किल हो जाएगी क्योंकि सरकार के पास 50,000 रुपये से अधिक के सभी सामान की आवाजाही का ब्योरा होगा. यदि आपूर्तिकर्ता या फिर खरीदार में से कोई एक भी रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो इस अंतर को पकडा जा सकेगा.

 

 

 

भाषा


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