जीएसटी ने बिगाड़ा बजट, सरकार चालू वित्त वर्ष में खर्च चलाने के लिए 50,000 करोड़ रुपए कर्ज लेगी

Last Updated 28 Dec 2017 10:14:38 AM IST

सरकार चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि में सरकारी व्यय को पूरा करने के लिए बाजार से 50,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेगी.


फाइल फोटो

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व प्राप्ति नवम्बर माह में सबसे कम रहने से सरकार का बजट गड़बड़ा गया है. इससे समस्या से निपटने के लिए उसने चालू वित्त वर्ष में बाजार से दिनांकित प्रतिभूतियों के जरिए 50,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जुटाने का फैसला किया है. इससे राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 फीसद पर रखने का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है.
वित्त मंत्रालय के यहां जारी बयान में कहा गया है कि इससे बजट 2017-18 में रखे गए निवल कर्ज के लक्ष्य में हालांकि कोई बदलाव नहीं होगा. बयान में कहा गया है कि आरबीआई के साथ ऋण कार्यक्रम की समीक्षा के बाद सरकार ने चालू वित्त वर्ष में दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) के जरिए 50,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने का फैसला किया है. इससे टी-बिल्स के जरिए जुटाई जाने वाली राशि मार्च, 2018 तक घटकर 25,006 करोड़ रुपए रह जाएगी. इसका मौजूदा संग्रह 86,203 करोड़ रुपए है. टी-बिल्स एक साल से कम समय की प्रतिभूतियां होती हैं. वहीं दिनांकित प्रतिभूतियां पांच साल से अधिक समय में परिपक्व होती हैं. 

बयान में कहा गया है कि सरकार अब से लेकर मार्च, 2018 तक शुद्ध रूप से अतिरिक्त ऋण नहीं जुटा रही है. टी- बिल्स इस दौरान 61,203 करोड़ रुपए कम होंगे जबकि जी-सेक ऋण 50,000 करोड़ रुपए बढ़ेगा. बजट 2017-18 में सकल और शुद्ध बाजार कर्ज क्र मश: 5.80 लाख करोड़ रुपए और 4.23 लाख करोड़ रुपए रखा गया था. 



इसमें से 3.48 लाख करोड़ रुपए शुद्ध रूप से दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों से और 2,002 करोड़ रुपए टी-बिल्स से जुटाए जा रहे हैं. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 26 दिसम्बर, 2017 तक बाजार से उधार तय कैलेंडर के अनुरूप है. इस दौरान सकल और शुद्ध बाजार कर्ज क्रमश: 5,21,000 करोड़ रुपए और 3,81,281 करोड़ रुपए रहा है.

कैसे बढ़ा दबाव

सरकार ने कई वस्तुओं पर जीएसटी दर को सबसे ऊंची दर 28 से घटाकर 18 और 12 फीसद पर ला दिया. नवम्बर में जीएसटी प्राप्ति 80,808 करोड़ रुपए रही है जबकि इससे पिछले माह यह 83,000 करोड़ रुपए रही थी. इस वजह से सरकार के खजाने पर दबाव बढ़ गया है.

क्यों पड़ी जरूरत
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 फीसद रखने का लक्ष्य रखा है.  पिछले दो महीने में माल एवं सेवा कर  से राजस्व संग्रह उम्मीद से कुछ कम रहा है. ऐसे में इस अतिरिक्त कर्ज से इसे पूरा करने में मदद मिलेगी.

 

भाषा/सहारा न्यूज ब्यूरो


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