जेटली को उम्मीद, संवैधानिकता की कसौटी पर खरा उतरेगा आधार कानून

Last Updated 13 Sep 2017 09:27:26 PM IST

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज भरोसा जताते हुए कहा कि आधार कानून संवैधानिकता की कसौटी पर खरा उतरेगा. उन्होंने कहा कि इसमें लोगों से जुड़ी जानकारी (आंकड़ों) की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किये गये हैं.


वित्त मंत्री अरूण जेटली (फाइल फोटो)

जेटली ने वित्तीय समावेश पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही. वित्त मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब आधार को सरकारी योजनाओं तथा पैन कार्ड से अनिवार्य रूप से जोड़ने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है.  इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी.

आधार के बारे में जेटली ने कहा कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय एक नया विचार था लेकिन इसे विधायी समर्थन नहीं मिला था. भारतीय जनता पार्टी की सरकार में इसे कानूनी संरक्षण मिला है और निजता एवं आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी है.

उन्होंने कहा, आंकड़ों की गोपनीयता पर बहस तथा इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून की आवश्यकता थी. आधार विधेयक पारित हो चुका है और मुझे यकीन है कि यह वैधानिकता के पैमाने पर खरा उतरेगा. 

पिछले महीने उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था. न्यायालय ने कहा था कि यह अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा है.

जेटली ने आगे कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने हालिया फैसले में निजता के अधिकार को महत्वपूर्ण संवैधानिक गारंटी बताते हुए युक्तिसंगत प्रतिबंधों की बात की थी.

लाभर्थियों तक सब्सिडी नहीं पहुंचने और संसाधन की बर्बादी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार आप पहचान नेटवर्क तैयार कर लेते हैं तब आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि सामाजिक लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो इसका वास्तविक हकदार है और जिसको लक्ष्य कर यह बनाया गया, उन्हें प्राप्त हो क्योंकि संसाधन सीमित है.

वित्तीय समावेशन के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में जन धन योजना के तहत 30 करोड़ परिवारों के बैंक खाते खोले गये हैं.

इस योजना से पहले करीब 42 प्रतिशत परिवार ऐसे थे, जो बैंक सेवा से जुड़े हुए नहीं थे. उन्होंने कहा कि जन धन योजना बैंक खाते खोलने की देश की सबसे बड़ी मुहिम है. इसका लक्ष्य सभी व्यावसायिक बैंकों में शून्य अधिशेष पर खाते खोलकर प्रत्येक परिवार को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना था.


      
अरूण जेटली ने कहा कि शून्य अधिशेष वाले बैंक खातों का अनुपात 77 प्रतिशत से कम होकर 20 प्रतिशत रह गया है. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण सुविधा का विस्तार होने से ये बैंक खाते भी परिचालन में आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि योजना की शुरुआत के तीन महीने बाद सितंबर 2014 में 76.81 प्रतिशत खातों में जमा राशि शून्य थी. अब इस तरह के खाते कम होकर 20 प्रतिशत रह गये हैं.  उन्होंने जन धन योजना को श्रेय देते हुए कहा कि अब 99.99 प्रतिशत परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अगस्त 2014 को पीएमजेडीवाई (प्रधानमंत्री जनधन योजना) की शुरूआत की थी. इसका मकसद गरीबों को वित्तीय सेवा उपलब्ध करानी थी. इसमें गरीबों का बैंक खाता खोलना, उन्हें रूपे कार्ड के जरिये भुगतान का इलेक्ट्रानिक भुगतान का जरिया उपलब्ध कराना और उन्हें ऋण और बीमा लेने में सक्षम बनाना था.

जेटली ने कहा कि वित्तीय समावेश के अलावा सरकार ने गरीबों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) तथा दुर्घटना बीमा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के जरिये सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये कदम उठाये गये.

पीएमजेजेबीवाई के तहत 3.6 करोड़ तथा पीएमएसबीवाई के तहत 10.96 करोड़ लोगों ने पालिसी ली. दोनों योजनाओं में कुल पालिसीधारकों में 40 प्रतिशत महिलाएं हैं.

मुद्रा योजना के बारे में जेटली ने कहा कि इससे 8.77 करोड़ लोग लाभान्वित हुए और अधिकतर लाभार्थी महिलाएं हैं.

नोटबंदी के परिणाम के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अन्य लाभों के अलावा इससे नकद लेनदेन की मात्रा कम करने और डिजिटलीकरण को गति देने, कर आधार बढ़ाने तथा अर्थव्यवस्था को और संगठित बनाने में मदद मिली है. नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा में कमी पर जोर दिया गया है.

जेटली ने कहा कि पिछले तीन साल में सरकार राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे में वित्तीय समावेश को केंद्र में लाने में सफल रही है. उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि नीति निर्माताओं को इस दिशा का अनुकरण करना होगा और वे इस प्रवृत्ति को पलटने में कामयाब नहीं होंगे.

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment