सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश : 1 अप्रैल को 8 लाख से ज्यादा वाहन हो जाएंगे कबाड़

Last Updated 30 Mar 2017 03:07:32 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने भारत स्टेज-4 (बीएस-फोर) उत्सर्जन मानकों का पालन न करने वाले वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है.


सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीएस-थ्री उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की बिक्री की अनुमति संबंधी केंद्र सरकार का अनुरोध बुधवार को ठुकरा दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि एक अप्रैल से बीएस-थ्री उत्सर्जन मानक वाले वाहनों का न तो पंजीकरण होगा, न ही बिक्री.

वाहन और पेट्रोल महंगे होंगे : बीएस-3 के मुकाबले बीएस-4 मानक का ईंधन तैयार करने पर तेल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर 41 पैसे अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. इसी तरह डीजल की रिफाइनरी लागत भी 26 पैसे बढ़ जाएगी. इसका भार ग्राहकों पर डाला जाएगा. नए मानक से तैयार वाहनों की कीमत भी बढ़ेगी.

80 फीसद घटेगा प्रदूषण : वाहनों के धुएं से सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजान आक्साइड और पीपीएम का उत्सर्जन होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. आमतौर पर बीएस-3 मानकों के अनुरूप ईंधन अपनाने पर अगर वाहनों से 350 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) का उत्सर्जन होता है तो बीएस-4 मानक अपनाने के बाद इसमें 80 फीसद तक कमी लाई जा सकेगी यानी यह घटकर लगभग 50 पीपीएम रह जाएगा.

इस याचिका पर आया फैसला : कोर्ट का फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें 31 मार्च के बाद ऐसे वाहन बेचने पर लगी रोक को चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क पर आने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

ऑटो मोबाइल कंपनियों का तर्क : इसके खिलाफ ऑटो कंपनियों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ऑटो कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से बीएस-3 इन्वेंटरी की बिक्री के लिए एक साल की मोहलत मांगी थी.



ईपीसीए का तर्क
ऑटोमोबाइल कंपनियों को पता है कि बीएस-4 नार्म्स 1 अप्रैल से शुरू होने वाला है. लेकिन वह पुरानी टेक्नोलॉजी के साथ वाहन बना रहे हैं. सरकार ने क्लीनर फ्यूल बनाने के लिए 18 से 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किये हैं. ऐसे में बीएस-3 वाहन की बिक्री पर रोक लगानी ही चाहिए.  -हरीश साल्वे (ईपीसीए के वकील)

इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर
सरकार ने डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से हो रहे प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए 2020 तक 50 से 70 लाख इलेक्ट्रिक एवं हाईब्रिड वाहन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. -बाबुल सुप्रियो, शहरी विकास राज्य मंत्री

12 हजार करोड़ पानी में

पुराने मानकों के अनुरूप तैयार पड़े तकरीबन 9 लाख वाहनों की कीमत लगभग 12 हजार करोड़ रुपए है. जो 1 अप्रैल से बिक नहीं पाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा- जब कम्पनियों को पता था कि 1 अप्रैल से बीएस-4 लागू होना है, फिर भी वो टेक्नोलॉजी विकसित करने पर क्यों बैठे रहे. क्यों नहीं बीएस-4 नार्म्स की गाड़यिां बनाई गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की सेहत, ऑटोमोबाइल कम्पनियों के फायदे से ज्यादा जरूरी है.

क्या है मामला

एनवायरमेंट पाल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी कि सिर्फ बीएस-4 स्टैंर्डड वाले व्हीकल्स को ही बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए.

भारत स्टेज (बीएस) क्या है

► वाहनों में फ्यूल से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने केलिए एक मानक तय किया जाता है इसे इमिशन नार्म्स कहते हैं.
► जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में बदलाव आता है और एक्सपेरिमेंट्स के जरिए प्रदूषण कम करने के तरीके तलाशे जाते हैं. जिसके साथ इमिशन नार्म्स भी बदलते हैं.
► इन नार्म्स के तहत वाहन तैयार करना हर कंपनी के लिए जरूरी होता है. ताकि इससे वायु प्रदूषण कम किया जा सके. नए मानक के तहत फ्यूल भी बदला जाता है.
► अभी भारत में बीएस-4 मानक चल रहा है. इसे यूरो-4 भी कहा जाता है.
► सरकार 2020 तक मानक-5 को छोड़ सीधे मानक-6 लागू करने जा रही है.

समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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