मैडलिन स्लैड से मीरा बेन

Last Updated 20 Jul 2011 10:06:44 PM IST

बापू का व्यक्तित्व इतना प्रभावी था कि उनके करीब आने वाला उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था.


सात समंदर पार जन्मी मैडलिन स्लैड महात्मा गांधी को देखे बिना उनके सिद्धांतों, दर्शन तथा कार्यो से इतनी प्रभावित हुईं कि अपना घर बार छोड़कर जीवन पर्यन्त बापू की न केवल निष्ठावान सहयोगी बनी रहीं बल्कि उनके रंग में रंग कर भारत की चहेती मीरा बेन बन गईं.   

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बापू का व्यक्तित्व इतना प्रभावी था कि उनके करीब आने वाला उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था. छह नवंबर, 1925 को मुंबई आने के बाद मैडलिन स्लैड जब अगले दिन साबरमती आश्रम में बापू से मिलीं तो उन्हें लगा कि जीवन की सार्थकता दूसरों के लिए जीने में है. बापू से उन्हें मीरा नाम मिला और वह गुजरात के साबरमती आश्रम में रहने लगीं.

 बापू के कार्य और उनकी सोच से प्रभावित होकर मीरा उनकी सहयोगी बनीं और गांधी के नेतृत्व में लड़ी जा रही आजादी की लड़ाई में अंत तक उनकी सहयोगी रही. इस दौरान नौ अगस्त, 1942 को गांधीजी के साथ उन्हें गिरफ्तार कर आगा खां हिरासत केंद्र में मई, 1944 तक रखा गया. 1932 के द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में वह महात्मा गांधी के साथ थीं.

गांधी संग्रहालय से जुड़ी रहीं वर्षा दास ने बताया कि नमक सत्याग्रह के बाद महात्मा गांधी ने लोगों में आजादी के प्रति मनोबल बनाये रखने के लिए वर्धा के निकट 'से गांव' में आश्रम बनाया, जिसे बाद में सेवा ग्राम के नाम से जाना गया. यह जगह मीरा ने चुनी थी.

वर्षा ने बताया कि बुनियादी शिक्षा, अस्पृश्यता निवारण जैसे कार्यों में गांधी के साथ मीरा की अहम भूमिका रही. बापू के निधन के बाद भी मीरा उनके विचार और कार्यों के प्रसार में जुटी रहीं, जिसके चलते 1982 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

इंग्लैंड के शाही परिवार में 1892 में जन्म लेने वाली मेडलिन स्लेड बचपन में एकाकी स्वाभाव की थीं, जिसे स्कूल जाना तो पसंद नहीं था लेकिन अलग-अलग भाषा सीखने में काफी रूचि थी. बाद में उन्होंने फेंच, जर्मन और हिंदी समेत अन्य भाषाएं सीखीं. गांधी पर लिखी गयी रोम्यां रोलां की पुस्तक पढ़कर स्लेड को गांधी के विराट व्यक्तित्व के बारे में पता चला. वह उनकी अनुयायी बन गयी और अपना देश छोड़कर भारत आ गयीं.

बापू ने मेडलिन स्लेड में भारत के प्रति सेवा भाव और खुद से लगाव को देखते हुए उनका नाम मीरा रख दिया. भारत के प्रति मीरा बेन का लगाव इतना था कि वह भारत को अपना देश और इंग्लैड को विदेश मानती थीं.

आधुनिक इतिहास के प्रोफेसर रिजवान कैसर ने कहा, 'महात्मा गांधी के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में किये गये सुधारात्मक और रचनात्मक कार्यों में मीरा की अहम भूमिका थी. वह गंदी और पिछड़े बस्तियों में जाकर निसंकोच खुद सफाई कार्य करती थी.'
   
गांधी जी की हत्या के बाद 18 जनवरी 1959 को वह भारत छोड़कर विएना चली गयीं.20 जुलाई 1982 को मीरा बेन का देहांत हो गया.



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