कम बोझिल पाठय़क्रम

Last Updated 29 May 2025 12:45:48 PM IST

आईआईटी-दिल्ली ने छात्रों पर बोझ कम करने और उद्योग जगत की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए बारह वर्षो के बाद अपने पाठय़क्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया है।


कम बोझिल पाठय़क्रम

संस्थान के निदेशक रंगन बनर्जी ने मंगलवार को एक इंटरव्यू में कहा था, ‘पाठय़क्रम में पिछली बार संशोधन 2013 में किया गया था। इस बीच, उद्योग जगत की मांग तेजी से बदल रही है..एआई एक नया उभार है, और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस सुधार की कवायद 2022 में शुरू हुई थी। पिछले कुछ वर्षो में संस्थान ने हितधारकों से व्यापक प्रतिक्रिया ली है, और उनकी मांग और जरूरत के अनुसार जरूरी बन पड़े बदलाव पाठय़क्रम में किए हैं।

पाठय़क्रम को ही कम नहीं किया गया है, बल्कि कक्षा का आकार कम करने का फैसला भी किया गया है। पहले दो सेमेस्टर के लिए कक्षा का आकार अब 200 की बजाय 150 होगा ताकि छात्र पर अधिक ध्यान सुनिश्चित किया जा सके। कहा जा सकता है कि आईआईटी का पाठय़क्रम संबंधी फैसला दूरगामी परिणाम हासिल करने की दृष्टि से किया गया है। देश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

इससे पूर्व नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है और अब देश के एक प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान का यह फैसला क्रांतिकारी पर्वितन की दिशा में उठाया गया कदम करार दिया जा सकता है। वैसे भी एआई और प्रोग्रामिंग जैसे पाठय़क्रमों का शिक्षण-प्रशिक्षण जरूरी बन गया है। जरूरी है कि जटिलताएं शिक्षण-प्रशिक्षण में खासी अवरोध खड़े करती हैं।

उच्च शिक्षा और खास तौर पर प्रतियोगी शिक्षण-प्रशिक्षण में विद्यार्थियों पर अनावयक तनाव रहता है, और तनाव इस कदर हावी हो जाता है कि आये दिन छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें आती रहती हैं।

यदि पाठय़क्रम का बोझ बनिस्बत कम हो और कक्षा की छात्र स्ट्रेंथ ज्यादा न हो तो पढ़ाई-लिखाई के लिए परिणामोन्मुख माहौल तैयार हो सकता है। हालांकि आईआईटी-दिल्ली ने बारह साल बाद पाठय़क्रम में बदलाव किया है, लेकिन बदलते समय के साथ ताल मिलाए रखने के लिए यह जरूरी कवायद है। तनावरहित शिक्षण-प्रशिक्षण हो तो न केवल उच्च शिक्षा का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि उच्च शिक्षा अपनी उपयोगिता भी साबित करती है। पाठय़क्रम में कठिनता को कम करने का फैसला वास्तव में सराहनीय है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment