पीओके के लिए वैश्विक समर्थन

Last Updated 08 Mar 2025 01:34:48 PM IST

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने बुधवार को लंदन में चैथम हाउस थिंक टैंक के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान जम्मू-कश्मीर के चुराए गए हिस्से की वापसी के बाद होगा जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है।


पीओके के लिए वैश्विक समर्थन

यह याद रखना चाहिए कि 22 फरवरी, 1994 को भारत की संसद में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें दोहराया गया था कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है, और रहेगा। पाकिस्तान को वह हिस्सा छोड़ना होगा जिस पर उसने कब्जा जमा रखा है।

वास्तव में जयशंकर की टिप्पणी संसद के इसी प्रस्ताव की प्रतिध्वनि है। जयशंकर ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना भारत का पहला प्राथमिक कदम था। सूबे में विकास, आर्थिक गतिविधियां और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम और यहां निष्पक्ष चुनाव कराना तीसरा कदम था। वास्तव में भारत अच्छी तरह से जानता है कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर उसके लंबे समय से चले आ रहे दावे के अलावा पाकिस्तान का भी दावा है और स्वयं उन कश्मीरियों का अपना दावा है जो उस हिस्से की आजादी की मांग कर रहे हैं या भारत में विलय के लिए मांग कर रहे हैं।

चौथा दावा चीन का भी है जिसने वहां भारी निवेश किया है। इस अर्थ में जयशंकर का कहना जायज है कि पीओके भारत के नियंत्रण में आ जाए तो वह भी भारतीय जम्मू-कश्मीर की तरह विकास के रास्ते पर बढ़ सकता है। परंतु व्यवहार में यह काम इतना आसान नहीं है। हाल-फिलहाल यह हो सकता है कि पीओके में पाकिस्तानी सरकार के जो जुल्म बढ़ रहे हैं और जिनसे वहां के निवासी आक्रांत रहे हैं, उनके लिए वैश्विक समर्थन जुटाया जाए और स्वयं भारत भी उन्हें स्पष्टत: आश्वासन दे कि वह उनकी जायज मांगों का समर्थक है। गिलगिट-बलूचिस्तान में रहने वाले लोगों ने अपने क्षेत्र पर पाकिस्तान के बलात कब्जे को कभी स्वीकारा नहीं है।

यहां राजनीतिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक आवाजें उठ रही हैं। पाकिस्तान की कुल भूमि का 40 फीसद हिस्सा यहीं है, लेकिन इसका विकास नहीं हुआ है। करीब एक करोड़ 30 लाख की आबादी वाले इस इलाके में सर्वाधिक बलूच हैं। इसलिए इसे गिलगिट-बलूचिस्तान भी कहा जाता है। भारत को पीओके के निवासियों की पूरी चिंता है। लेकिन भारत का यह पक्ष केवल बातों में ही नहीं, व्यवहार में भी सामने आना चाहिए। पाकिस्तान के अवैध कब्जे से कश्मीर के इस हिस्से को भारत में वापस लाने का एक रास्ता यह हो सकता है।



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