जम्मू-कश्मीर में आतंक और अमन

Last Updated 26 Oct 2024 12:46:38 PM IST

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवादियों ने सेवा के वहां पर बड़ा हमला किया जिसमें दो सैनिक शहीद हो गए और सेना के दो पोर्टल (कुली) मारे गए। तीन सैनिक भी घायल हुए हैं। यह हमला गुलमर्ग के ऊपरी क्षेत्र बूटा पथरी में हुआ।


जम्मू-कश्मीर में आतंक और अमन

राज्य में नई लोकतांत्रिक सरकार के शपथ-ग्रहण के बाद यह दूसरा बड़ा आतंकवादी हमला है। इससे पहले रविवार 20 अक्टूबर की रात को आतंकवादियों ने एक डॉक्टर और छह श्रमिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह हमला गांदरबल इलाके में सुरंग परियोजना पर काम कर रहे श्रमिकों के शिविर पर किया गया था।

मारे गए श्रमिकों में स्थानीय और बाहरी दोनों शामिल थे। आमतौर पर यह इलाका शांत माना जाता रहा है जहां एक दशक के दौरान कोई बड़ा आतंकी वारदात नहीं हुआ था। इन दोनों आतंकी हमले से यह साफ हो गया है कि राज्य में चुनावी लोकतंत्र को पुनर्जीवित करना शांति एवं स्थिरता की गारंटी नहीं है।

गौर करने वाली बात यह है कि हाल के दिनों में जो आतंकी वारदात हुए हैं उनमें से ज्यादातर जम्मू संभाग के सैन्य प्रतिष्ठानों और सैनिक काफिलों पर हुए हैं। हालांकि पिछले 5 वर्षो के दौरान राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया में तेजी आई है।

जाहिर है कि अलगाववादी और आतंकवादी समूहों पर यह रास नहीं आ रहा है और शांति बहाली की प्रक्रिया को पीछे धकेलना के लिए यह हमले किए जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकी हमले से कोई भी यह निष्कर्ष निकाल सकता है अभी इस केंद्र शासित प्रदेश में शांति की संभावना भुरभुरी या क्षीण है।

पिछले एक सप्ताह में चार छोटे-बड़े आतंकी हमले हुए हैं जो पुलिस प्रशासन और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के लिए बड़ी चुनौती है। पूरे राज्य में आतंकवादी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा उपायों को चाक-चौबंद और मजबूत करने की जरूरत है ताकि शांति भंग करने वालों वाले समूहों को पराजित किया जा सके।

सेना के वाहनों, काफिलों और नागरिकों पर होने वाले हमले खुफिया और सूचना तंत्र की कमजोरी को उजागर कर रहे हैं। इस तरह के हमले पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए पुलिस और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है।

हालांकि अलगाववाद और आतंकवाद को जनता का समर्थन नहीं है, लेकिन सीमा पार से आने वाले घुसपैठियों का छोटा सा समूह उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को सरकारों को आतंकवाद के विरु द्ध लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा ताकि विधानसभा के चुनाव के बाद जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हुई है उसका लाभ उठाया जा सके।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment