मोदी का आत्मविश्वास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अगले सौ दिनों तक डटकर मेहनत करें। ताकि लोक सभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आ सके।
मोदी का आत्मविश्वास |
पिछले दस वर्षो में केंद्र सरकार ने जो हासिल किया है, वह एक पड़ाव है। मोदी ने कहा, विकसित भारत के संकल्प को हासिल करने के लंबी छलांग लगानी है। हर भारतीय के जीवन को बदलने के लिए व बहुत कुछ हासिल करने के लिए बहुत से निर्णय अभी बाकी हैं।
अपनी सरकार की योजनाओं व उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि इन्हें आम जनता तक पहुंचाएं और उनका भरोसा जीतें। इस बार भाजपा के 370 से ज्यादा सीटें हासिल करने के साथ ही इस पांच साल में पहले से कई गुना तेजी से काम करते हुए विकास की बात की। कांग्रेस पर सीधा वार करते हुए उसे कन्फ्यूज बताया व कहा कि देश को कांग्रेस से बचाने के लिए पार्टी कार्यकताओं को जुटना होगा।
देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया में ग्यारवें से पांचवें नंबर पर लाने और जल्द ही इसे तीसरे पायदान पर लाने की भी उन्होंने बात की। विकसित भारत का सपना देखने व 2047 तक इसे पूरा करने के लिए काम करने का वादा करते हुए उन्होंने भाजपा के साथ एनडीए का नाम भी जोड़ा।
मोदी ने खुद को पहला प्रधानमंत्री बताया, जिसने लालकिले से शौचालय की बात की। यह कहना गलत नहीं है कि अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही चुनावी भाषणों और सभाओं का अघोषित अभियान चालू हो चुका है। नरेन्द्र मोदी की छवि तेजी से मोदी ब्रांड में बदल गई है, जो भाजपा से कहीं आगे है।
उन्हें जनता की नब्ज ही नहीं मालूम है बल्कि लोगों को कब, कैसे और कितना प्रभावित करना है, यह भी वे खूब जानते हैं। अपने कामों और उपलब्धियों को सरकार केवल प्रचार माध्यमों से ही नहीं याद दिलाती बल्कि ऐसे मौके तैयार किए जाते हैं, जहां प्रधानमंत्री स्वयं बुलंदगी से अपनी बात रखते हैं।
नि:संदेह उन्होंने अपनी छवि निरंकुश नेता की बनाई है, जो दुनिया के समक्ष बहैसियत खड़ा होता है। उनकी आलोचना करने वाले भी मानते हैं कि उन्होंने भारत की स्थिति को मजबूती देने में सफलता पाई है।
विपक्ष की एकजुटता में निरंतर आ रहीं दरारें भी अपरोक्ष में मोदी को मजबूती देने में बड़ी भूमिका निभाती नजर आ रही हैं। उनका यह आत्मविश्वास भाजपा के लिए अमृत समान प्रतीत हो रहा है।
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