अभी तो कुहेलिका है
अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए पिछले शुक्रवार को पटना में आयोजित विपक्षी नेताओं की बैठक से अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो यह संदेश गया है कि विपक्ष एकजुट होने के मामले में गभीर है।
![]() अभी तो कुहेलिका है |
लेकिन चुनाव की दृष्टि से विपक्षी एकता का स्वरूप क्या होगा, यह तो अगली बैठकों में तय होगा। फिर भी यह तो कहा ही जा सकता है कि पटना (Patna) की बैठक विपक्षी एकता की शुरुआत है।
लेकिन इस संभावित एकता को राजनीतिक, वैचारिक और व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता जिन ज्वलंत मुद्दों को लेकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) पर प्रहार करता रहा है, कम से कम उन मुद्दों पर उन्हें अपनी नीतियों को स्पष्ट करना होगा।
अर्थात विपक्ष बेरोजगारी और महंगाई को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की कटु आलोचना करता रहा है। इस मसले पर विपक्ष को यह बताना होगा कि बेरोजगारी दूर करने के लिए उसके पास कौन-कौन सी योजनाएं हैं? अगर विपक्ष सत्ता में आता है तो रोजगार बढ़ाने के लिए उसके पास किस तरह की योजनाएं हैं?
विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए उनकी नीतियां क्या होंगी? ठीक उसी तरह से देश में महंगाई बढ़ रही है ,पेट्रोल, डीजल और घरेलू गैस सिलेंडर के दाम जिन कारणों से बढ़ रहे हैं, उन पर विपक्ष किस तरह नियंत्रण करेगा? विदेश नीति के मोर्चे पर उनकी क्या नीतियां होंगी और चीन की विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाने के लिए आखिर वे क्या करेंगे? कांग्रेस (Congress)सहित लगभग सभी विपक्षी दलों के नेता भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का आरोप लगाते रहते हैं।
इस पर अहम सवाल है कि क्या मुस्लिम तुष्टीकरण से ही सांप्रदायिक विभाजन दूर होगा? इससे भी बड़ा सवाल है कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के नीतिगत मतभेद दूर कैसे होंगे? सबसे बड़ा सवाल तो यह भी है कि विपक्ष की इस बारात का दुल्हा कौन होगा?
हालांकि राजद नेता लालू यादव ने मजाक में ही राहुल गांधी की ओर इशारा किया। इस मजाक में भी एक संदेश था, लेकिन क्या समूचा विपक्ष राहुल गांधी को अपनी बारात का दुल्हा मानने के लिए तैयार है? इन सभी सवालों पर अभी तक विपक्ष ने कोई स्पष्ट नीति नहीं रखी है। उसके रुख से लगता है कि शिमला बैठक के बाद ही गठबंधन का कोई ठोस स्वरूप उभर कर आएगा। फिलहाल यही है कि साथ लड़ने पर वे सहमत हैं।
Tweet![]() |