टीके की चिंता
पंद्रह साल तक की आयु के बच्चों को टीकाकरण की बाबत सरकार ने स्पष्ट किया है कि विशेषज्ञ समूह के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय किया जाएगा।
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राज्य सभा में मंगलवार को इस बाबत सदस्यों की चिंता साझा करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पंद्रह साल से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण को लेकर सरकार विशेषज्ञ समूह के सुझावों की प्रतीक्षा कर रही है। गौरतलब है कि विशेषज्ञ समूह नियमित रूप से बैठकें करके महामारी से उत्पन्न हर दिन के हालात की समीक्षा करके जरूरी सुझाव देता है। इन्हीं सुझावों के आधार पर सरकार कार्रवाई करती है।
इस तरह भारत महामारी का अच्छे से सामना कर पा रहा है। सदस्यों ने देश के विभिन्न स्थानों पर स्कूलों के फिर से खुलने से बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी क्योंकि देश में कोरोना महामारी का प्रकोप अभी थमा नहीं है। मंगलवार को एक दिन में देश में कोरोना के 67,597 नये मामले सामने आए। इसके साथ ही इस महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4,23,39,611 हो गई। बेशक, यह चिंता की बात है, लेकिन संतोष की बात यह है कि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 27 दिन बाद भी 10 लाख से कम बनी हुई है।
इसका एक कारण तेजी से चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान भी है। देश में 97.5% पात्र लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है, और 77% लोगों को दूसरी खुराक भी लग गई है। यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है कि विकसित देश अपनी आबादी के 90% से ज्यादा लोगों को पहली खुराक तक नहीं दे सके हैं। इस लिहाज से देखें तो कह सकते हैं कि भारत कोविड संकट से बेहतर तरीके से निपट रहा है।
इसकी पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि भारत महामारी की तीसरी लहर से निपटने में सक्षम हो सका। बहरहाल, स्कूल खुलने लगे हैं, और जहां नहीं खोले गए वहां निजी स्कूल वाले और छात्र इन्हें खोले जाने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र भी इस सिलसिले में आंदोलित हैं। शिक्षण-प्रशिक्षण को लंबे समय तक थामे नहीं रखा जा सकता। इसलिए जरूरी है कि किशोरों और युवाओं का जल्द से जल्द टीकाकरण पूरा किया जाए ताकि होनहारों के भविष्य पर महामारी का साया न पड़ने पाए।
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