शांति और उम्मीद की किरण

Last Updated 07 Jan 2022 01:45:08 AM IST

संभवत: पहली बार हुआ है जब परमाणु हथियार रखने पर अकड़ न दिखाते हुए पांच बड़ी परमाणु शक्तियों ने अपने पूर्व रुख से विपरीत ऐसा कुछ कहा है जो संकटों से जूझ रही दुनिया में उम्मीद की किरण की तरह है।


शांति और उम्मीद की किरण

अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन ने साझा बयान में कहा है कि परमाणु युद्ध न तो कोई जीत सकता है और न ही लड़ा जाना चाहिए। इनका कहना है कि अब परमाणु हथियारों का प्रसार रोका जाना चाहिए। बयान ऐसे वक्त जारी हुआ है जब परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) की ताजा समीक्षा को कोविड-19 के कारण टाल दिया गया है। चार जनवरी को होने वाली समीक्षा बैठक को सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों ने  स्थगित कर दिया।

पांचों परमाणु शक्तियां सहमत थीं कि उन उपायों को मजबूत करेंगी जिनसे परमाणु हथियारों का अनधिकृत उपयोग न हो। संधि की उस धारा पर भी प्रतिबद्धता जताई गई जिसके तहत सभी देश भविष्य में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए वचनबद्ध हैं। 191 देश एनपीटी पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। संधि के प्रावधान के तहत हर पांच साल में इसकी समीक्षा की जाती है। रूस और चीन के साथ अमेरिका का तनाव शीत युद्ध के बाद अब तक के चरम पर है। रूस के यूक्रेन सीमा पर बड़े सैन्य जमावड़े के बाद दोनों बड़ी ताकतों में उग्र बयानबाजी के बाद से ही पाले खिंचे हुए हैं।

चीन से तनाव भी जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद से लगातार बढ़ रहा है। चाहे व्यापार नीतियों को लेकर चीन की आक्रामकता हो या ताइवान पर बढ़ती तनातनी। उम्मीद की जानी चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मौजूदा मुश्किल हालात में पांचों प्रमुख परमाणु शक्तियों के शांति की उम्मीद जगाने वाले कदम अंतरराष्ट्रीय तनाव का स्तर घटाने में मददगार होंगे। ‘परमाणु यद्ध जीता नहीं जा सकता’, यह विचार पूर्व सोवियत संघ के नेता मिखाइल गोर्बाचेव और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1985 में पेश किया था।

एनपीटी चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका को ही परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता देती है जबकि भारत और पाकिस्तान भी परमाणु हथियार विकसित कर चुके हैं। यह भी माना जाता है कि इस्रइल के पास भी परमाणु हथियार हैं। तीनों ने ही एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। उत्तर कोरिया ने 2003 में इस संधि से खुद को बाहर कर लिया था। जब तक परमाणु हथियार रहेंगे दुनिया पर खतरा बना रहेगा, इन हथियारों कों नष्ट करके परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।



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