सतर्क रहना होगा
बीते 45 दिनों में वैश्विक महामारी कोरोना की चाल में हर दिन सुस्ती को देखते हुए एम्स व आईसीएमआर के विशेषज्ञों और अन्य वैज्ञानिकों ने देश में कोविड की तीसरी लहर आने की आशंका को खारिज किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि इसके बावजूद फरवरी महीने तक ऐहतियात बरतते रहना जरूरी है।
सतर्क रहना होगा |
इसलिए कि उस समय तक देश की 85 फीसद आबादी को टीका लग चुका होगा। उनका कहना है कि टीकाकरण जिस तेजी से किया जा रहा है, उससे हम जल्द ही एक अरब के जादुई आंकड़े को छू लेंगे।
सकारात्मक स्थिति यह है कि टेस्टिंग तेजी से बढ़ी है, और संक्रमण दर और मृत्यु दर में तेजी से कमी दर्ज की जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर के नवम्बर महीने में दस्तक देने की आशंका जताई जाती रही है, लेकिन जो मौजूदा स्थिति है, उसे देखते हुए विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर के फिलहाल कोई संकेत नहीं हैं।
अच्छी बात यह है कि अक्टूबर के मध्य तक जीनोम सिक्वेंसिंग और अन्य दूसरे अध्ययनों से पता चला है कि वायरस म्यूटेट नहीं हो रहा। सार्स-कोव-2 के जीनोम सिक्वेंसिंग के नोडल अधिकारी डॉ. वी. रवि के मुताबिक, अध्ययनों से पता चला है कि कोरोना का संक्रमण डेल्टा वेरिएंट तक ही सीमित है। इसी वेरिएंट ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कहर बरपाया था।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया इसे राहत की स्थिति करार दे रहे हैं कि वायरस का नया रूप सामने नहीं आया है; न ही नया वेरिएंट आने की आशंका है। नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. एचएस कार का कहना है कि दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में जो वेरिएंट्स एमयू और सी. 1.2 कहर बरपा रहे हैं, उनके भारत आने की संभावना न के बराबर है।
और यदि कोई नया वेरिएंट भारत आ भी जाता है, तो वह डेल्टा और डेल्टा प्लस की तरह संक्रामक और घातक तो नहीं ही होगा। बहरहाल, सोमवार की रात 12.05 बजे कोविड-19 इंडिया ओरजी पर 11.53 बजे तक अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में देश भर 12,322 नये संक्रमण के मामले प्रकाश में आए। इसी दौरान 164 नये मरीजों ने दम तोड़ दिया। यानी कहना होगा कि तमाम सकारात्मक बातों के बावजूद लापरवाही कतई नहीं बरतनी चाहिए।
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