कोरोना कितना ऊपर-नीचे
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा सात लाख के पार चला गया है। और कोरोना संक्रमित देशों की सूची में अब भारत का स्थान तीसरा हो चला है।
कोरोना कितना ऊपर-नीचे |
कोरोना की रफ्तार जैसे-जैसे तेज होती जा रही है, कई तथ्य उभरकर सामने आने लगे हैं। मसलन; देश में अब हर 100 टेस्ट में 10 मरीज मिलने लगे हैं। यह दर अमेरिका (8 मरीज) से भी ज्यादा हो गई है, जबकि देश में शुरुआती एक लाख मरीज मिलने तक यह दर सिर्फ 4.34 फीसद थी। यानी तब हर 100 टेस्ट में सिर्फ 4 मरीज मिल रहे थे। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने 5 फीसद से ज्यादा दर वाले देशों को खतरनाक श्रेणी में रखा है। इस लिहाज से भारत की स्थिति भी ज्यादा संतोषजनक नहीं कही जा सकती है। इसकी सबसे खास वजह गांवों और छोटे शहर और कस्बों में तेजी से बढ़ते मामले हैं। इसे रोकने या कम करने की जरूरत है। वरना सामुदायिक संक्रमण हुआ तो हालात संभालना कठिन हो जाएगा। अभी तक सरकार की तरफ से सामुदायिक संक्रमण की बात से इनकार किया जाता रहा है।
लेकिन जिस तरह से कुछेक शहरों में मामलों में इजाफा हुआ है, वह वाकई चिंतनीय है। दूसरी चिंता की बात उन वैज्ञानिकों की तरफ से आई है, जिनका दावा है कि हवा से भी कोरोना फैलता है। दुनियाभर के 239 वैज्ञानिकों ने पत्र लिखकर डब्ल्यूएसओ से इन दावों पर गौर करने और कोविड-19 से जुड़े दिशा-निर्देश में तत्काल बदलाव करने का आग्रह किया है। कोरोना से हुई मौत की बात करें तो अब तक देश में 20 हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। खासकर महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात में यह आंकड़ा ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है और जब तक इसे काबू में नहीं लाया जाएगा, तब तक कोरोना पर जीत हासिल नहीं हो पाएगी। एक और चिंता की बात स्थापित लक्षणों से इतर संक्रमित मरीजों का सामने आना भी है।
इसलिए सरकार को इस बारे में भी संजीदगी से विचार करने और इसका समाधान ढूंढ़ने की जरूरत है। स्वाभाविक तौर पर जब ज्यादा टेस्ट किए जाएंगे तो मरीज भी सामने आएंगे। लेकिन बिना टेस्ट किए सही तथ्य का पता भी नहीं चल सकेगा। चुनांचे ज्यादा संख्या में टेस्ट का किया जाना बेहद आवश्यक है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने जैसी हिदायतों का पालन करते रहने से परिणाम सुखद ही आएंगे।
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