एनआईए की बढ़ेगी ताकत

Last Updated 17 Jul 2019 06:07:36 AM IST

लोकसभा में राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक, 2019 या एनआईए संशोधन विधेयक का पारित होना काफी महत्त्वपूर्ण है।


एनआईए की बढ़ेगी ताकत

आतंकवाद के विरु द्ध लड़ाई में एनआईए की शक्ति का विस्तार आवश्यक था। अगर यह विधेयक राज्य सभा में पारित हो जाता है तो एनआईए को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच करने का अधिकार मिल जाएगा।

साथ ही, एनआईए को मानव तस्करी और साइबर अपराध की जांच और कानूनी कार्रवाई का भी अधिकार मिल जाएगा। वस्तुत: आतकवाद हो या मानव तस्करी या साइबर अपराध; यह किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं है। विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा भी श्रीलंका में हमारे लोग मारे गए, बांग्लादेश में मारे गए लेकिन एनआईए को अधिकार न होने के कारण वह बाहर जांच नहीं कर सकती।

इसी तरह मानव तस्करी का भयावह जाल पूरी दुनिया में बिछ गया है, और भारी संख्या में बच्चे-बच्चियों को इसका शिकार बनाया जा रहा है। एनआईए को अधिकार मिल जाने के कारण यह देशव्यापी और सीमा पार के इसके जाल की छानबीन कर अपराधियों को अदालत के कठघरे मे खड़ा करने में सफल हो सकेगी। जिनने लोक सभा में इस विधेयक का विरोध किया या इसमें अनावश्यक संशोधन प्रस्ताव लाए उनके पीछे केवल राजनीतिक मंशा थी। हमारे यहां दुर्भागय से आतंकवाद एवं अपराध को भी राजनीतिक नजरिए से देखकर पार्टियां रणनीति बनाती हैं।

इसी कारण वाजपेयी सरकार के समय पोटा का विरोध हुआ और संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर उसे पारित कराना पड़ा। यूपीए सरकार ने आते ही उसे खत्म कर दिया। किंतु जब आतंकवाद ने देश को लगातार लहूलुहान किया तो उन्हें गैर-कानूनी गतिविधियां निरोध कानून को परिवर्तित कर पोटा जैसा बनाना पड़ा। बाद में एनआईए का भी गठन करने को मजबूर होना पड़ा।

इस पर राजनीति न होती तो न जाने कितनी आतंकवादी घटनाएं रु कतीं और कितने आतंकवादियों या उनकी मदद करने वालों को सजा मिल चुकी होती। हम उम्मीद करेंगे कि राज्य सभा में विपक्षी पार्टयिां इसे न अटकाएं। वर्तमान सरकार आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति घोषित कर चुकी है, इसलिए हम यह भी चाहेंगे कि एनआईए संशोधन विधेयक के कानून बनने के साथ कुछ परिवर्तन और प्रगति दिखाई दे।



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