सेंसेक्स धड़ाम

Last Updated 10 Jul 2019 01:08:48 AM IST

नरेन्द्र मोदी सरकार के बजट के बाद जिस तरह शेयर बाजारों में लगातार गिरावट आ रहा है वह चिंताजनक है। हालांकि शेयर बाजार इतना संवेदनशील होता है कि किसी नकारात्मक खबर की संभावना से भी यहां कोहराम मच जाता है।


सेंसेक्स धड़ाम

शायद इसीलिए सरकार वर्तमान गिरावट को देखते हुए भी अभी तक खामोश है।

आकलन के अनुसार बजट पेश होने के बाद से लेकर सोमवार तक बंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण यानी एमकैप में 5 लाख 66 हजार 771 करोड़ से ज्यादा की गिरावट आ गई है।

इसका कारण बिकवाली है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। सबसे पहला कारण यह है कि बजट में सूचीबद्ध कंपनियों की सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे कंपनियों को लगता है कि उन्हें जल्दी में अपने 10 प्रतिशत शेयर बेचने होंगे।

सरकार ने काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया है। यह संभव है कि सरकार आने वाले दिनों में इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित करे, पर निर्णय वापस होने की संभावना नहीं है। दूसरा कारण संपन्नों पर कर बढ़ाना है। विदेशी पोर्टफोलियों निवेशकों एवं अमीरों पर कर बढ़ाने वाले प्रस्तावों से निवेशकों की धारणा कमजोर रही है।

अगर देश के विकास के लिए और समाज के निचले तबकों के सामाजिक कल्याण के लिए धन चाहिए तो कई तरीके से इसकी व्यवस्था करनी होती है। इसमें संपन्न लोगों को आयकर पर अधिभार झेलना चाहिए। तीसरा कारण अमेरिका में रोजगार के अच्छे आंकड़ों के कारण ब्याज दर में कटौती की संभावनाओं को तत्काल विराम लग जाना है। अमेरिका में ब्याज दर ऊंची होने से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से धन निकाल कर अमेरिकी बांड बाजार में लगाने को आकर्षित हो सकते हैं।

इसका असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर है। चौथा कारण पीएनबी के भूषण पावर एंड स्टील को दिए गए ऋण में 3,800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आना है, जिससे उसके शेयर में एकाएक 11 प्रतिशत की गिरावट आ गई। इस तरह के कई कारण हैं। इसमें सरकार क्या कर सकती है? शेयर बाजार स्थिर रहे, खरीदारी बिकवाली सामान्य गतिविधियों की तरह कायम रहे यह जरूरी है। सरकार केवल कंपनियों में सार्वजनिक हिस्सेदारी बढ़ाने के मामले में समयसीमा थोड़ा ज्यादा दे सकती है। इस पर कारोबारियों को सरकार से बात करनी चाहिए।



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