जाति नहीं बदलती

Last Updated 22 Jan 2018 05:17:28 AM IST

विवाह के बाद जाति न बदले जाने का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला युगांतकारी साबित होगा.


दलित से शादी करने पर महिला दलित नहीं होगी.

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय विद्यालय से बर्खास्त एक शिक्षिका की अपील पर फैसला देते हुए कहा है कि कोई सामान्य जति की महिला यदि दलित से शादी कर ले तो वह दलित नहीं होगी क्योंकि जाति जन्म से निर्धारित होता है. इसके आधार पर महिला की केंद्रीय विद्यालय में 21 वर्षो की सेवा समाप्त हो गई. दरअसल, मामला एक अग्रवाल लड़की का था, जिसने जाटव लड़के से शादी की और इसके आधार पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया. उसकी शैक्षणिक योग्यता और उसके जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उसे पंजाब के पठानकोट में केंद्रीय विद्यालय में नौकरी मिल गई.

नौकरी के 21 साल के बाद सुनीता के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई कि वह अग्रवाल जाति की है. बुलंदशहर के सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच के बाद लिखा कि जाति प्रमाण पत्र गलत है. उसका जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया. केंद्रीय विद्यालय ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया. उसने इसके खिलाफ पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय और वहां से सफलता न मिलने पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.



जाहिर है, ऐसा प्रमाणपत्र पाने वाली वह अकेली महिला नहीं हो सकती है. आम धारणा यही रही है कि महिला जिस जाति के पुरुष से विवाह करती है उसी जाति की हो जाती है. न्यायालय ने इसे नकार दिया है तो शादी के बाद महिलाओं की बदली गई जातियां असंवैधानिक हो गई हैं. वास्तव में इससे एक दौर का अंत हो रहा है.

अब दूसरी जातियों में शादी करने वाली लड़कियां पहले से यह जानेंगी कि उनकी जाति वही रहेगी जिसमें उन्होंने पैदा लिया है. किंतु पहले से जिन्हें पति की जाति का प्रमाण पत्र मिल गया है और उसके आधार पर वो कहीं नौकरी कर रहीं हैं या अनुसूचित जाति के दूसरे लाभ उनने उठाए हैं तो उन्हें दोषी मान लेना भी उचित नहीं होगा. इसमें उनका कोई दोष नहीं था, क्योंकि समाज की पंरपरानुसार उन्हें पति की जाति का प्रमाण पत्र दे दिया गया.

वास्तव में इस फैसले के सामने आने के बाद न जाने कहां-कहां लोग किसके बारे में शिकायत करेंगे और कितनों की लगी हुई नौकरियां जाएंगी. अच्छा होगा कि न्यायालय में इससे संबंधित पुनर्विचार याचिका दायर हो. अभी तक जो महिलाएं नौकरी कर रहीं हैं, उनके साथ रियायत बरतते हुए उन्हें बर्खास्तगी की जगह सेवानिवृत्ति दी जा सकती है.    

 

 

 

संपादकीय


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