खत्म हुई अनिवार्यता

Last Updated 11 Jan 2018 06:06:38 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिनेमाघरों में फिल्मों के प्रदशर्न से पहले राष्ट्रगान की अनिवार्यता समाप्त करते हुए स्वैच्छिक करारा देने के फैसले का आम तौर पर स्वागत किया गया है.


खत्म हुई अनिवार्यता

इसके द्वारा न्यायालय ने 30 नवम्बर, 2016 के अपने ही आदेश में संशोधन किया है.

उस आदेश में न्यायालय ने सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया था. उस दौरान सारे दरवाजे बंद रखने और सभी लोगों के सावधान की मुद्रा में खड़ा होना था.

दरअसल, इस आदेश को लेकर देश में दो प्रकार के मत बन गए थे. एक मत यह था कि इस आदेश की अवहेलना होने की संभावना है और ऐसा होता है तो यह राष्ट्रगान का अपमान होगा. दूसरा मत था कि देशभक्ति की भावना जगाने और बनाए रखने के लिए यह आदेश आवश्यक है. हालांकि राष्ट्रगान के व्यापक अपमान की खबर सामने नहीं आई.

कोई खड़ा नहीं हुआ तो लोग उसे जबरन खड़ा करते पाए गए या फिर उसके साथ अभद्र व्यवहार की भी खबरें आई. दरअसल, सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में यह मत व्यक्त किया था कि वह इसकी अनिवार्यता को खत्म करे. केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर विचार के लिए 12 सदस्यीय अंतर-मंत्रालयीय समिति गठित की है. जाहिर है, समिति उसक सारे पहलुओं पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देगी.

तो आगे का फैसला उस निर्णय के आधार पर होगा. किंतु यह सामान्य समझ की बात है कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान की अनिवार्यता को बड़ी संख्या में लोगों ने एकदम उचित नहीं माना था. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में एक नया नियम बना दिया. राष्ट्रगान हमारी भावनाओं से जुड़ा हुआ है. आम व्यक्ति के अंदर अपने देश के प्रति भक्ति का भाव होता है.

राष्ट्रगान के प्रति सम्मान का भाव हमारी देशभक्ति से जुड़ा अवश्य होता है. किंतु यदि कोई राष्ट्रगान के समय सावधान की मुद्रा में खड़ा नहीं हुआ इसका यह अर्थ निकालना उचित नहीं है कि उसकी देशभक्ति में कोई कमी है. सर्वोच्च न्यायालय के पहले के फैसले का कुछ लोगों ने ऐसा ही अर्थ निकालना आरंभ कर दिया था. वैसे भी सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान को अनिवार्य करना माहौल के अनुरूप सुसंगत नहीं लगता.

अगर कोई सिनेमा हॉल राष्ट्रगान बजाता है तो उसका स्वागत होना चाहिए, लेकिन इसे अनिवार्य बनाना उचित नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने इसके बारे में कुछ कहा भी नहीं था. इसलिए अच्छा है कि सरकार ने इसे अंतरमंत्रालीय समिति को मामला सौंप दिया है. छह महीने के अंदर आने वाली रिपोर्ट की हमें प्रतीक्षा करनी चाहिए.



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