भागवत के मायने

Last Updated 27 Nov 2017 06:00:38 AM IST

सुप्रीम कोर्ट आगामी पांच दिसम्बर से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करने जा रहा है. इसी बीच, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह बयान दे कर विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर केवल राम मंदिर ही बनेगा.


मोहन भागवत ने कहा अयोध्या के विवादित स्थल पर केवल राम मंदिर ही बनेगा.

इसके अलावा, किसी अन्य धार्मिक ढांचे का निर्माण होने नहीं दिया जाएगा. उनके इस बयान का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि उन्हें उम्मीद है कि अदालत का फैसला हिंदुओं के पक्ष में नहीं आएगा. हालांकि उन्होंने पिछले दिनों कहा है कि न्यायालय का फैसला हमें मंजूर है. लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी विश्व हिंदू परिषद का शुरू से यह विश्वास रहा है कि राम जन्म भूमि कानून का नहीं, आस्था का मामला है. चूंकि अयोध्या हमारे अराध्य का जन्मस्थान है, इसलिए यहां राम का भव्य मंदिर बनना ही चाहिए.

दूसरी ओर, बाबरी मस्जिद के प्रतिनिधियों ने अदालत के फैसले को मानने की बात कही है. अब ऐसी परिस्थिति में यह कैसे मान लिया जाए कि अदालत का फैसला दोनों पक्षों को मान्य होगा! इससे भी ज्यादा गंभीर सवाल इसके क्रियान्वयन को लेकर है. ऐसा नहीं है कि न्यायालय को उसका अहसास नहीं है. शायद इसलिए उसने विवाद से जुड़े दोनों पक्षों से बातचीत के जरिये विवाद का हल निकालने पर जोर दिया था.



इसके कुछ महीनों बाद पिछले दिनों आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर स्वयंभू वार्ताकार बन कर प्रकट हुए थे. उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत करके विवाद का सर्वमान्य हल निकालने की पहल भी की. लेकिन दोनों पक्षों में से किसी ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया. उनका प्रयास विफल रहा. इसके पहले भी बातचीत के जरिये इस विवाद का हल निकालने की कई बार कोशिशें हो चुकी हैं.

तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के समय दोनों पक्ष समझौते पर राजी भी हो गए थे. लेकिन उसी दौरान उनकी सरकार चली गई और यह समझौता नहीं हो सका. इसलिए अब यह मान लेना चाहिए कि बातचीत के जरिये सर्वमान्य हल निकालने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. अब अंतिम उम्मीद सिर्फ अदालत से ही है. लेकिन विास के साथ यह नहीं कहा जा सकता है कि न्यायालय का फैसला दोनों पक्षों को मान्य ही होगा.

ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि मुसलमान उदारता दिखाएं और बहुसंख्यकों की आस्था का सम्मान करते हुए विवादास्पद भूमि हिंदुओं को सौंप दें ताकि वहां राम मंदिर का निर्माण हो सके. 

 

 

संपादकीय


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