सिरे से सब दोषी
गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मासूमों की हुई दर्दनाक मौतों ने पूरे देश को झकझोर दिया है.
बच्चों की मौत के लिए सब दोषी |
हालांकि मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री तक यह कह रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई, पर सारे प्रमाण यही बता रहे हैं कि इतनी संख्या में ज्यादातर अस्वाभाविक मौतों का कारण समय पर ऑक्सीजन न मिलना ही है. मृतकों के परिजन खुलकर बता रहे हैं कि ऑक्सीजन न मिलने के कारण उन्हें अंबू बैग से ऑक्सीजन दिया गया, लेकिन लोग थक जाते थे.
आश्चर्य की बात है कि गोरखपुर दौरे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर सच्चाई जानने का पूरा प्रयास नहीं किया. अगर वे परिजनों से मुलाकात करते तो उनके सामने वह सच आता जो अस्पताल एवं स्थानीय जिला प्रशासन उन्हें मुहैया नहीं करा सका था. अस्पताल या जिला प्रशासन तो हर हाल में उसी तरह की जानकारी देगा, जिससे उसकी खाल बच जाए. उससे जानकारी लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने जिस ढंग से पूर्व की मौत के आंकड़े गिनाए वह ह्रदयविदारक था.
जो सूचना है उतनी मौतों के बावजूद जिलाधिकारी एवं कमिश्नर ने अस्पताल का दौरा करना मुनासिब नहीं समझा. आखिर उत्तर प्रदेश के लोग कैसी व्यवस्था में रह रहे हैं, जहां एक अस्पताल पर बकाया होने के कारण आपूर्तिकर्ता लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक देता है?
गोरखपुर और आसपास के लोग जापानी एन्सेफ्लाइटिस नामक बीमारी से वर्षो से जूझ रहे हैं. न जाने कितने घर इस बीमारी ने उजाड़ दिए. इसलिए किसी एक सरकार पर इसका दोष नहीं डाला जा सकता. किंतु सरकार बदलने के बाद निश्चय ही जनता ने स्थिति बदलने की उम्मीद की होगी.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ खुद गोरखपुर के सांसद हैं और इस बीमारी से क्षेत्र को निजात दिलाने के लिए वे लंबे समय से काम कर रहे हैं. इस त्रासदी के दो दिनों पहले उन्होंने अस्पताल का दौरा भी किया, पर उनको यह जानकारी नहीं दी गई कि वहां भुगतान न होने के कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही है. इसके लिए किसे दोष दिया जाए? क्या केवल अस्पताल प्रशासन को? क्या यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री वहां से पूरी जानकारी क्यों नहीं पा सके? दरअसल, यह एक मानवनिर्मिंत त्रासदी है, जिसके लिए सरकार से लेकर अस्पताल एवं स्थानीय प्रशासन सभी दोषी हैं.
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