वीडियो पर बवाल
नियंत्रण रेखा पर तैनात बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी करके पूरे देश में सनसनी फैला दी है.
वीडियो पर बवाल |
इसमें सैनिकों को ड्यूटी के दौरान खराब खाना परोसा जाना और इसके लिए उच्च अधिकारियों को भ्रष्ट बताना जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. यह वीडियो 70 लाख बार से ज्यादा देखा गया है.
यादव ने अपने वीडियो में कहा है कि सीमा पर बर्फबारी के बीच हम 11-11 घंटे खड़े होकर ड्यूटी करते हैं. लेकिन हमें नाश्ते में एक सूखा पराठा और खाने में सिर्फ हल्दी और नमक वाली दाल मिलती है.
उसकी शिकायत सरकार से नहीं, अपने उच्च अधिकारियों से है, जो राशन बेचकर खा जाते हैं. सेना के कड़े अनुशासन को देखते हुए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि उसने अनुशासन की घोर अवज्ञा की है. एक जवान के लिए यह अक्षम्य अवज्ञा है. पहली नजर में उसके आरोप में निहायत व्यक्तिगत आक्रोश झलकता है क्योंकि किसी अन्य जवान ने ऐसी शिकायत नहीं की है.
इस जवान के आरोप से निश्चित तौर पर सरकार और सेना दोनों की छवि को क्षति पहुंची है. खास बात यह है कि यह वीडियो ऐसे समय जारी हुआ है, जब भारतीय सेना को पाकिस्तान और चीन दोनों देशों से गंभीर चुनौतियां मिल रही हैं और सरकार अपने जवानों की हौसलाअफजाई के लिए हर संभव कोशिशें कर रही हैं.
फिलहाल हम मानकर चल रहे हैं कि इस जवान के आरोप बेबुनियाद हो सकते हैं. फिर भी उसके आरोप की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और उसके निष्कर्ष को जनता के सामने रखना चांिहए. प्रसन्नता की बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने इस वीडियो का संज्ञान लेते हुए गृह सचिव को निर्देश दिया है कि इसकी जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी जाए.
बीएसएफ के प्रवक्ता की ओर से सफाई देते हुए इस जवान के बारे में कहा गया है कि उसने कई बार अनुशासन को तोड़ा है. सचाई तो घटना की विस्तृत जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन सेना के स्तरों पर ऐसे किसी तंत्र को विकसित करने की आवश्यकता है जो इस बात की निगरानी करे कि एक भी जवान अपने को उपेक्षित महसूस न करे. साथ ही दोषियों को कड़ी सजा दी जाए.
इलेक्ट्रिानिक मीडिया की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि एक जवान की शिकायत या आरोप को जांच होने तक प्रामाणिक न माने कि सिर्फ वही सच बोल रहा है, क्योंकि इससे देश की प्रतिष्ठा का सवाल जुड़ा हुआ है.
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