केर्न्‍स मामले से फिक्सिंग के खिलाफ मुहिम को झटका : विश्लेषक

Last Updated 02 Dec 2015 10:18:39 AM IST

क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान क्रिस केर्न्‍स को मैच फिक्सिंग मामले में झूठी गवाही देने के आरोपों से बरी करने से खेल को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की मुहिम को झटका लगा है.


फाइल फोटो

केर्न्‍स को लंदन की एक अदालत ने मैच फिक्सिंग को लेकर झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने के आरोपों से बरी कर दिया है.
   
न्यूजीलैंड हेराल्ड के पत्रकार डायलान क्लीवर ने कहा कि यह नतीजा पूर्व हरफनमौला की जीत है. उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड के मौजूदा कप्तान ब्रेंडन मैकुलम समेत गवाही देने वाले क्रि केटरों के साथ जिस तरह बर्ताव किया गया, वे आगे से इस मुहिम में साथ क्यो देंगे.
    
उन्होंने कहा, ‘कौन चाहेगा कि वाकपटुता के धनी वकीलों के सामने जाकर अपनी किरकिरी कराये. कोई नहीं.’
   
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक आथर्टन ने ‘द टाइम्स आफ लंदन’ में लिखा, ‘इस फैसले से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग पर असर पड़ेगा. खिलाड़ी आगे आने से पहले दो बार सोचेंगे और अधिकारी मामला अदालत में ले जाने से पहले कई बार विचार करेंगे.’

इस 45 वर्षीय क्रिकेटर ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के खिलाफ मुकदमा जीता था जिन्होंने 2010 में ट्विटर के जरिये उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगाये थे.

मानहानि के इस मामले में केर्न्‍स को 90,000 पौंड स्टर्लिंग मिलने थे लेकिन उन पर आरोप लगाये गये कि उन्होंने अदालत में झूठ बोला था कि उन्होंने ‘क्रिकेट के साथ कभी धोखाधड़ी नहीं की.’

लेकिन अब नौ सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद लंदन के साउथवर्क क्राउन कोर्ट में सात महिलाओं और पांच पुरूषों की ज्यूरी ने  केर्न्‍स को झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रक्रि या को गुमराह करने का दोषी नहीं पाया.

क्रिकेट इतिहासकार जिडियोन हेग ने जुलाई में भारत के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत समेत तीन क्रि केटरों के स्पाट फिक्सिंग मामले में बरी होने का उदाहरण देते हुए कहा कि आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई पहले ही विसनीयता की कमी से जूझ रही है और अब इस मामले ने फिर सवालिया ऊंगली उठा दी है.



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