चंद्रमा पर तिरंगा फहराने की चल रही दिलचस्प तैयारी

Last Updated 06 Dec 2016 01:09:23 PM IST

चंद्रमा पर पहुंचने के लिए एक निजी कंपनी तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच एक दिलचस्प और बेहद खास तैयारी चल रही है.




चंद्रमा पर तिरंगा फहराने की चल रही दिलचस्प तैयारी

चीन के कदम के मद्देनजर एशियाई अंतरिक्ष दौड़ के तहत चंद्रमा पर पहुंचने के लिए बेंगलुरू के बीच एक दिलचस्प और बेहद खास तैयारी चल रही है, यह दौड़ और तैयारी निजी कंपनी ‘टीम इंडस’ तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच की है, दोनों 60 दिन के भीतर चांद पर पहुंचना चाहते हैं, इसरो के पास ज्ञान का भंडार और विरासत है तथा ‘टीम इंडस’ एक युवा ऊर्जा तथा लड़ाई में हर हाल में जीतने की भावना से ओतप्रोत है. 

‘टीम इंडस’ एक मानवरहित अंतरिक्ष यान के जरिए 26 जनवरी 2018 को 69वें गणतंत्र दिवस पर चांद पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहती है, यह टीम ऐसे युवाओं का समूह है जो दो करोड़ डॉलर के ‘गूगल लूनर एक्सप्राइज’ के लिए जीजान लगा देना चाहता है, टीम इंडस में करीब 100 लोग हैं जिनमें से ज्यादातर इंजीनियर हैं और जिनका नेतृत्व राहुल नारायण कर रहे हैं, राहुल पूर्व में एक सॉफ्टवेयर कर्मी थे और वह खुद को एक श्रृंखला उद्यमी कहते हैं, वर्ष 2010 में जब ‘गूगल एक्सप्राइज’ लगभग बंद हो रहा था, तब उन्होंने चांद पर विजय का फैसला किया, गूगल प्रायोजित इस प्रयास में टीम इंडस एकमात्र भारतीय टीम है. 
 
राहुल का कहना है कि वे अपने मिशन के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत करा चुके हैं, जिन्होंने युवा टीम को अपना आशीर्वाद दिया है, वर्ष 2010 से राहुल ने इस टीम में युवाओं को शामिल किया है, जिनमें से ज्यादातर कॉलेज से निकले नए छात्र हैं, इन लोगों के मन में सिर्फ एक ही इच्छा है कि वे चांद पर पहुंचने वाली पहली निजी कंपनी बनें,  राहुल ने कहा कि वे इन 100 करोड़ रपए को पहले ही खर्च कर चुके हैं, करीब चार लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए टीम इंडस के संस्थापकों ने मदद के लिए इसरो के लगभग दो दर्जन सेवानिवृत्त कर्मियों को भर्ती किया है. 
 
टीम इंडस ने भारत के अत्यंत विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ एक प्रक्षेपण सेवा समझौता किया है, एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राकेश शशिभूषण ने कहा, ‘हां हमने टीम इंडस के साथ एक प्रक्षेपण सेवा समझौते पर दस्तखत किए हैं जो 2017 की चौथी तिमाही में लूनर ऑर्बिटर (चांद का चक्कर लगाने वाला उपग्रह) और लैंडर (चांद पर उतरने वाला) के प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी प्रक्षेपण उपलब्ध कराएगा.’ 
 
यह पहली बार है जब इसरो किसी निजी कंपनी को इस तरह की सुविधा दे रहा है, इसरो ने इसे पीएसएलवी में एक मूल्यवान राष्ट्रीय संसाधन करार दिया है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसरो ने निजी कंपनी को यह सेवा कितनी लागत में मुहैया कराई है, गूगल लूनर एक्सप्राइज प्रतियोगिता के 2017 के अंत तक पूरा होने की संभावना है, जिससे पहले सभी प्रतिस्पद्र्धी टीमों को अपने चंद्र अभियान रवानगी की शुरुआत करनी होगी, प्रतियोगिता में लगभग तीन दर्जन टीम शामिल हैं, अब तक इस्राइल की एक और अमेरिका की दो टीम प्रक्षेपण समझौते कर चुकी हैं और वे पुरस्कार की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. 
 
टीम इस अभियान को ‘हर इंडियन का मूनशॉट’ कहते हैं, अभियान से संबंधित उपग्रह पीएसएलवी के जरिए भारत के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से रवाना होगा, इसके बाद इसे चांद पर उतरना होगा फिर एक रोवर अपना काम करेगा, पुरस्कार जीतने के नियमों के तहत रोवर को चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर तक चलना होगा और इसे धरती पर उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें भेजने में सक्षम होना चाहिए, टीम इंडस का दावा है कि अब वह पुरस्कार के चार प्रबल दावेदारों में शामिल है और उसे गूगल से 10 लाख डॉलर का माइलस्टोन प्राइज पहले ही मिल चुका है, इसके साथ ही इसरो देश में 2008 से ही अपने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-2 मिशन पर काम कर रहा है, प्रधानमंत्री कार्यालय में अंतरिक्ष मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार यह अंतरिक्ष रवानगी 2018 की पहली तिमाही में होगी.
 
इसरो अपने भारी भू स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) की तैनाती की उम्मीद कर रहा है जिसका रिकॉर्ड अपेक्षाकृत तुनकमिजाजी वाला रहा तथा इसरो ने इस प्रतिष्ठित मिशन के लिए इसे ‘शरारती लड़का’ करार दिया था, चंद्रयान-2 भारी वजनी उपग्रह है जिसका भार तीन हजार किलोग्राम से अधिक है, जबकि टीम इंडस के उपग्रह का वजन 600 किलोग्राम है, लेकिन व्यापक रूप से दोनों का लक्ष्य समान है, असल में यह एक ट्रक और नैनो के बीच की दौड़ है, राहुल का कहना है कि चंद्रमा पर जाने की दौड़ में इसरो और टीम इंडस एक-दूसरे के प्रतिस्पद्र्धी नहीं हैं, वह टीम इंडस को टी-20 क्रिकेट मैच खेलने वाली टीम तथा इसरो को चंद्रयान-2 मिशन के साथ टेस्ट मैच खेलने वाली टीम करार देते हैं. 
 

 

 



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