नासा ने आकाशगंगा में गामा-रे बाइनरी का पता लगाया

Last Updated 01 Oct 2016 10:23:07 AM IST

एलएमसी पी-3’ नाम वाली दोहरी तारा प्रणाली में एक बड़ा तारा होता है और एक तारे का आंतरिक भाग होता है.


(फाइल फोटो)

जिनके परस्पर मिलने से बहुतायत में गामा किरणों निकलती हैंगामा-रे के परिणाम हर कक्षा में अहम तरीके से बदलते हैंइस दुर्लभ प्रणाली में या तो एक न्यूट्रॉन या एक ब्लैक होल होता है और गामा किरणों के रूप में अपनी अधिकतर ऊर्जा का विकिरण कर देता है

वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने नासा की फर्मी गामा-रे अंतरिक्ष दूरदर्शी का इस्तेमाल करते हुए पास की एक आकाशगंगा में पहले गामा-रे बाइनरी का पता लगाया है जो अब तक दिखी सबसे चमकदार गामा-रे बाइनरी है.

‘एलएमसी पी-3’ नाम वाली दोहरी तारा प्रणाली में एक बड़ा तारा होता है और एक तारे का आंतरिक भाग होता है जिनके परस्पर मिलने से बहुतायत में गामा किरणों निकलती हैं. गामा किरणों प्रकाश का सर्वाधिक ऊर्जा वाला रूप होती हैं.



अमेरिका में नासा के ‘गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर’ में प्रमुख शोधकर्ता रॉबिन कॉब्रेट ने कहा, ‘फर्मी ने हमारी अपनी आकाशगंगा में केवल पांच ऐसी पण्रालियों का पता लगाया है, इसलिए इतनी चमकदार और सुदूर पण्राली का पता लगना थोड़ा उत्साहजनक है.’

कॉब्रेट के मुताबिक, ‘गामा-रे बाइनरी बहुत महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि गामा-रे के परिणाम हर कक्षा में अहम तरीके से बदलते हैं.’ इस दुर्लभ पण्राली में या तो एक न्यूट्रॉन या एक ब्लैक होल होता है और गामा किरणों के रूप में अपनी अधिकतर ऊर्जा का विकिरण कर देता है. 

भाषा


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