नासा के रोवर चैलेंज में स्पर्धा करेंगे चार भारतीय दल
मंगल, सुदूर ग्रहों, क्षुद्रग्रहों या चंद्रमा की सतह के अन्वेषण के लिए मानवयुक्त रोवर बनाने की चुनौती देने वाले नासा के ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज में स्पर्धा कर रहे 80 दलों में भारतीय छात्रों के चार समूह भी शामिल हैं.
(फाइल फोटो) |
नासा का वार्षिक रोवर चैलेंज आठ अप्रैल से अलबामा स्थित यूएस स्पेस एंड रॉकेट सेंटर में शुरू होगा. इस स्पर्धा में भारत, अमेरिका, इटली, जर्मनी, मेक्सिको, कोलंबिया, रूस और पोतरे रिको के लगभग 80 दल स्पर्धा करेंगे.
इन दलों में महाराष्ट्र के ‘मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग’, उत्तराखंड स्थित ‘आईआईटी रूड़की’, तमिलनाडु की ‘सत्यभामा यूनिवर्सिटी’ और उत्तर प्रदेश के ‘स्काईलाइन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ के छात्र शामिल है.
इस रोवर चैलेंज के तहत छात्रों के दलों को मानवयुक्त रोवरों का प्रारूप, निर्माण, परीक्षण और अवरोधकों से भरे एक पथ पर इनकी आपस में दौड़ करवानी होगी. यह ऐसे क्षेत्र का प्रतिरूप होगा, जैसा सुदूर ग्रहों, क्षुद्रग्रहों या उपग्रहों पर होता है. इन दलों को अवरोधकों से भरी एक चौथाई मील लंबी दूरी को जल्द से जल्द पूरा करना होता है
अलग-अलग श्रेणियों के लिए पुरस्कार होते है. नासा ने कहा कि यह समारोह नौ अप्रैल को ‘डेविडसन सेंटर फॉर स्पेस एक्सप्लोरेशन’ में संपन्न होगा. यहां सर्वश्रेष्ठ डिजाइन, रूकी टीम, पिट क्रू अवॉर्ड और अन्य पुरस्कार दिए जाने है.
इस साल के आयोजन में दो नए और अहम बदलाव ये हैं कि अब दलों को पहियों का डिजाइन भी खुद करना होगा और उनका निर्माण भी खुद ही करना होगा. ‘ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज’ भविष्य में मंगल और अन्य अंतरिक्षीय पिंडों पर अन्वेषण के नासा के लक्ष्यों को रेखांकित करता है.
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