‘गैस चालित वाहनों से निकलते हैं कैंसर कारक नैनो कण’

Last Updated 07 Aug 2015 11:13:44 AM IST

अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि गैस चालित वाहनों से वातावरण में नैनो कार्बन कणों का उत्सर्जन होता है.


कैंसर कारक नैनो कण (फाइल फोटो)

देश में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान की अग्रणी संस्था काउंसिल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॅा एमओ गर्ग ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके संस्थान की ओर से किये गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि गैस चालित वाहनों से वातावरण में नैनो कार्बन कणों का उत्सर्जन होता है जो आसानी से लोगों के शरीर और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर कैंसर पैदा कर सकते हैं.

डॅा गर्ग ने बृहस्पतिवार को यहां ग्लोबल ग्रीन नैनोटेक्नोलॉजी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा़ उनके संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन दिल्ली की गैस चालित बस पर किया था. इससे निकलने वाले नैनो कार्बन कण मुक्त रूप से वातावरण में घूमते हैं. ये आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं तथा अंदर की सुरक्षा झिल्ली की परत को काट कर रक्त प्रवाह में शामिल हो सकते हैं.

सबसे खतरनाक बात तो यह है कि ये कैंसर कारक होते हैं. हमने सरकार को इस बारे में पहले ही आगाह कर दिया है. मुझे लगता है कि पूरी दिल्ली के वातावरण में बहुतायत में ऐसे कैंसरकारक कण मौजूद होंगे.

इसरो के जाने माने वैज्ञानिक प्रोफेसर वाईएस राजन तथा नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कापरेरेशन (एनआरडीसी) के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॅा एच पुरु षोत्तम समेत कई विशेषज्ञों की मौजूदगी में डॅा गर्ग ने कहा कई बार दिखने वाले खतरे से बड़ा खतरा नहीं दिखने वाली चीज से होता है.

हमने धुंए को देख कर इसके डर से डीजल इंजनों की जगह गैस चालित इंजनों को प्रश्रय दिया है पर अब इनसे निकलने वाले कैंसर कारण कण तो और बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं. उन्होंने नैनो कणों के संभावित जहरीले प्रभाव पर और गहन अध्ययन की जरूरत पर जोर दिया और इस काम में लखनऊ स्थित भातीय विष विज्ञान अनुसंधान केंद्र की मदद लेने की आवश्यकता बताई.

हालांकि डॅा गर्ग ने नैनो तकनीक की सराहना की और इसमे भविष्य की लगभग सभी मानवीय समस्याओं का हल होने की उम्मीद भी जतायी. उन्होंने कहा कि इससे कई महंगी रासायनिक प्रतिक्रियाओं को कम खर्च पर किया जा सकता है और इनमें से कुछ तो इतने महत्वपूर्ण हैं कि उनके चलते पूरी दुनिया का ढर्रा ही बदल सकता है.

इस मौके पर डॅा पुरुषोत्तम ने बताया कि भारत अब नैनो तकनीक सबंधी खोजों के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. उन्होंने कहा दो साल पहले हम चौथे नंबर पर थे पर अब हम अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर हैं.

हमारे वैज्ञानिकों ने केवल भारत में ही पांच सौ पेटेंट संबंधी आवेदन कर रखे हैं.
 
उन्होंने उद्योग जगत से नैनो तकनीक पर हो रही शोध को बढ़ चढ़ कर मदद देने की जरूरत बताई. इसरो के वैज्ञानिक प्रो. राजन ने नैनो तकनीक के शोधों के मामले में व्यवहारिक नजरिया अपनाते हुए ऐसे प्रयोग करने की जरूरत पर जोर दिया जिनके नतीजे के तौर पर उपयोगी उत्पाद सामने आ सकें.
 



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