अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से बदला पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र

Last Updated 26 May 2015 08:02:49 PM IST

नियंत्रण ताप वृद्धि के कारण अंटार्कटिका में बर्फ की निचली परत के पिघलने की वजह से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में परिवर्तन आया है.


अंटार्कटिका में बर्फ पिघल रही है...

इस संबंध में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के शोधकर्ताओं ने पाया कि नियंत्रण ताप वृद्धि के कारण गहरे समुद्रों में चलने वाली जलधाराएं तेजी से ध्रुवीय इलाकों तक पहुंच कर वहां मौजूद बर्फ की मोदी परत को नीचे से पिघला रही हैं, वैज्ञानिकों ने चिंता जताई कि 2009 तक लगभग स्थिर रही अंटार्कटिका की बर्फ की मोटी परत अब तेजी से पिघलने लगी है. 

इस कारण यह क्षेत्र भी तेजी से अस्थिर हो रहा है, वैज्ञानिकों के अनुसार अंटार्कटिका में हर साल 14 क्यूबिक मील बर्फ पिघल जाती है और वैज्ञानिकों द्वारा किए गए मापनों में यह साफ हुआ है कि इस क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में बर्फ पिघली है, इसके प्रभाव से पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र भी बदल गया है और अब वैज्ञानिक यह पता लगाने में जुटे हैं कि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में बदलाव के क्या परिणाम हो सकते हैं. 
 
वैज्ञानिकों के अनुसार नियंतण्र स्तर पर तापमान में बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण समुद्र की सतह का पानी बेहद गर्म हो रहा है और इसी कारण सतह पर चलने वाली गर्म जलधाराएं काफी तेजी से ध्रुवीय इलाकों में बड़े पैमाने पर गर्म पानी की आपूर्ति कर रही हैं, इसी के परिणामस्वरूप अंटार्कटिका में बर्फ की मोटी परत भी पिघल रही है. 
 
पश्चिमी अंटार्कटिका में बर्फ की परत एक दशक पहले की तुलना में तीन गुना तेजी से पिघल रही है, वैज्ञानिकों द्वारा बर्फ की परत के पिघलने की दर का पता लगाने के लिए अंटार्कटिका में लगे उपकरणों की जांच से पता चला है कि बीते पांच वर्षो से बर्फ की परत प्रतिवर्ष चार मीटर (13 फुट) की दर से घट रही है, इस क्षेत्र के लिए लगाए गए सेटेलाइट मिशन ने भी बर्फ के दरकने से पृथ्वी के गुरुवाकर्षण क्षेत्र में बदलाव का खुलासा किया है.
 



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