HIV के छिपने का ठिकाना वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला

Last Updated 05 Mar 2015 04:59:22 PM IST

HIV के कोशिका में छिपने का ठिकाना तलाशने में वैज्ञानिकों को आखिरकार सफलता मिल ही गई.


वैज्ञानिकों ने खोजा HIV के छिपने का ठिकाना

हर दिन 5700 से अधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में लेने वाले एचआईवी के कोशिका में छिपने का ठिकाना तलाशने में वैज्ञानिकों को आखिरकार सफलता मिल ही गई है, वैज्ञानिकों को मिली यह सफलता लाखों लोगों की मौत का कारण बनने वाली एड्स की बीमारी का बेहतर इलाज ढूंढने में एक महत्वपूर्ण कामयाबी है. 

इटली के उत्तरी शहर तीस्ते में ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी’ (आईसीजीईबी) के वैज्ञानिकों के दल को यह सफलता मिली है. 
 
कुछ दिनों पहले यह पता चल गया था कि एड्स की बीमारी लाइलाज इसलिए हो जाती है क्योंकि इसके लिए जिम्मेदार वायरस कोशिका में अपने ही जेनेटिक मैटीरियल (डीएनए) में छिपने में कामयाब हो जाता है लेकिन जीनों के भीतर यह वायरस दवाइयों से किस तरह से बेअसर रहता है यह सवाल अभी तक एक पहेली बना हुआ है. 
 
‘आईसीजीईबी’ के महानिदेशक माउरो गियाक्का ने कहा कि वर्ष 2000 से हमारे पास हजारों इंसानी ‘डीएनए’ सिक्वेंस का आंकड़ा है जिनसे एचआईवी जुड़े होते हैं लेकिन 15 वर्षो से कोई भी यह नहीं जान पाया कि इनमें समानता क्या है, अब हमें इनकी यह समानता जानने में सफलता मिल गई है. 
 
यह वायरस कोशिका के केंद्रक (न्यूक्लियस) की सबसे बाहरी परत के छिद्र वाले हिस्सों में छिपा रहता है, इसमें कोशिकीय जीनों की ऐसी कई श्रृंखलाएं हैं जो एचआईवी को छिपाए रखती हैं या छिपने में मदद करती हैं. 
 
डॉ. गियक्का ने बताया कि नई खोज बताती है कि कोशिका के केंद्र की रचना ही कुछ इस तरह की है जो एचआईवी के लिए सुरक्षित पनाहगाह साबित होती है, यह वायरस कोशिका के केंद्र के लेमिन के प्रभाव वाले इलाकों और इसके मध्यवर्ती भाग में छिपने से गुरेज करता है. 
 
विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ की वेबसाइट पर इसी सप्ताह वैज्ञानिकों को मिली इस बड़ी सफलता का खुलासा किया गया जिससे एड्स के इलाज के लिए एक नई और प्रभावी दवा तैयार करने में बड़ी सफलता मिल सकती है.
 



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