उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेजों पर जमानत लेने वाले दो गिरफ्तार
फर्जी दस्तावेजों पर चोर बदमाशों व अन्य आपराधिक मामलों के आरोपितों की जमानत लेने वाले गिरोह के दो सदस्यों को देहरादून के कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
(फाइल फोटो) |
आरोपितों के पास से कई थानों व अन्य विभागों की फर्जी मोहरे बरामद हुई हैं. गिरोह के अन्य फरार सदस्यों की तलाश में पुलिस उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है.
पुलिस के अनुसार 9 मार्च 2016 को विशेष न्यायाधीश के प्रस्तोता राकेश चन्द्र भट्ट की ओर से कोतवाली पुलिस को शिकायत दी गई थी कि कुछ लोगो ने एक आपराधिक मामले में आरोपित रूबीना व रूबीना के पति युशुफ की जमानत ली थी. जांच के दौरान जमानतियों द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी पाए गए थे.
जमानत के लिए आरोपितों ने थाना सहसपुर, तहसीलदार, लेखपाल व अन्य संस्थाओं के फर्जी दस्तावेज व मोहरे तैयार की थी. मामलेमें फर्जी जमानतियों भूपेन्द्र सिंह व प्रदीप अग्रवाल समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. तब से ही पुलिस आरोपितों की तलाश में दबिश दे रही थी.
सोमवार को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर फर्जी जमानती भूपेन्द्र सिंह निवासी कुड़कावाला थाना डोईवाला व प्रदीप कुमार निवासी खुड़बुड़ा मौहल्ला को गिरफ्तार कर लिया. आरोपितों के पास से कई थानों व संस्थानों की फर्जी मोहरे व दस्तावेज बरामद हुए हैं. जबकि अन्य नामजद आरोपितों की तलाश में पुलिस लगातार उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है.
अब तक ले चुके हैं सौ से ज्यादा जमानत: पुलिस की मानें तो फर्जी दस्तावेजों पर जमानत लेने वालों का पूरा गिरोह सक्रिय है. गिरोह के ये सदस्य अब तक तकरीबन सौ से ज्यादा आपराधिक मामलों में आरोपितों की जमानत ले चुके हैं.
हांलाकि इन जमानत के लिए आरोपितों ने न्यायालय में फर्जी दस्तावेज तैयार कर पेश किए हैं. आरोपितों द्वारा कई कुख्यात बदमाशों की जमानत भी फर्जी दस्तावेजों पर ली गई है. ऐसे में भविष्य में ऐसे बदमाशों के फरार होने की संभावना बढ़ गई है जबकि ऐसे फरार बदमाशों को गिरफ्तार करने में पुलिस की परेशानी भी बढ़ सकती है.
ऐसे चलता है सब गोरखधंधा :
पुलिस के अनुसार आरोपित पूरी सोची समझी साजिश के तहत योजना को अंजाम देते हैं. पुलिस के अनुसार आरोपितों की कुछ अधिवक्ताओं व अधिवक्ताओं के मुंशियों से जान पहचान है. किसी भी मामलों के ऐसे आरोपित जिनका कोई जमानती नहीं होता उनसे गिरोह के लोग संपर्क करते.
गिरफ्तार आरोपित की जमानत के लिए गिरोह के लोग उनके परिजनों से मोटी रकम में जमानत लेने का सौदा तय करते. सौदा तय होने के बाद ये लोग जमानत लेने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते और उन्हीं फर्जी दस्तावेजों पर जमानत ले लेते.
पार्टी से मिली मोटी रकम का बंटवारा गिरोह के लोग आपस में कर लेते. पुलिस की मानें तो इस फर्जीवाड़े में कुछ अधिवक्ता व उनके मुन्शी भी शामिल हो सकते हैं.
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