उत्तराखण्ड: सुखरो के उफान से रेल पुल का पिलर बहा
उत्तराखण्ड के कोटद्वार में 1927 में अंग्रेजों के जमाने में बने रेल पुल का पिलर टूटने से कोटद्वार का रेल यातायात ठप हो गया.
सुखरो के उफान से रेल पुल का पिलर बहा |
अवैध खनन व नदी के बढ़े जलस्तर से एनएच 534 के पुल को भी खतरा हफ्तेभर में बहाल हो सकता है. शनिवार को रेल यातायात कोटद्वार को जोड़ने वाले सुखरो नदी पर बने रेलवे पुल का बेस टूट जाने के कारण कोटद्वार-नजीबाबाद के बीच रेल यातायात ठप हो गया.
रेलवे ने दावा किया कि पुल पर लंबी गार्डर रखकर पटरी बिछाई जाएगी और सप्ताहभर में रेल यातायात बहाल कर दिया जाएगा. शुक्रवार शाम से क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण खोह, मालन और सुखरो नदी उफान पर हैं.
1927 में अंग्रेजों के जमाने का निर्मित सुखरो नदी पर बना रेलवे के पुल का बेस पिलर बह गया. पांच पिलर में से एक पिलर जहां बह गया वहीं दो अन्य पाए भी खतरे की चपेट में हैं. इससे कोटद्वार का अन्य शहरों के लिए रेल संपर्क ठप हो गया है.
रेल विभाग के अनुसार रात्रि के लगभग साढ़े चार बजे रेलवे पुल का गार्डर पिलर बह गया. इससे नजीबाबाद से कोटद्वार आने वाली ट्रेन को रोक दिया गया है.
घटना की जानकारी पर विभाग के डीजीएम व इंजीनियर सीतारमण घटनास्थल पर पहुंचे जहां तकनीकी जानकारियां जुटाई गई. रेलवे ने फिलहाल पुल के अन्य पिलर को बचाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य शुरू करने की बात कही है. मजदूरों को लगाकर फिलहाल अन्य क्षतिग्रस्त होने वाले पिलर की पत्थरों से फिलिंग शुरू कर दी गई है.
सुखरो नदी उफान पर होने से हालांकि उस हिस्से में कार्य शुरू नहीं किया गया है जहां पिलर टूटा है. पूर्वकाल में ईंट से बने पुल के नीचे के पिलरों को बनाया गया था जो कि मजबूत थे.
क्षेत्र के ही रहने वाले महेश भूपती, प्रकाश सिंह, श्यामचरण, मनोहर दास, सूरज लाल ने कहा कि अवैध खनन के कारण रेलवे पुल को क्षति हुई है जबकि नियमानुसार पुल से दो सौ मीटर आगे व पीछे खनन प्रतिबंधित है, लेकिन रेलवे व प्रशासन की मिलीभगत के कारण अवैध खनन हुआ और रेलवे के पुल का पाया टूट गया. यही नहीं रेलवे पुल के पास ही एनएच 534 के पुल का पाया भी खतरे की जद में आ गया है. अगर वर्षा का यही क्रम जारी रहा तो एनएच 534 के पुल का पाया भी अवैध खनन की भेंट चढ़कर गिर सकता है.
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