उत्तराखंड मामला : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, सदन में शक्ति परीक्षण पर विचार करें
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा कि वह सदन में शक्ति परीक्षण पर विचार करें.इस समय उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू है.
उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण पर विचार करे केंद्र |
सुप्रीम कोर्ट ने एजी से उनके निरीक्षण में सदन में शक्ति परीक्षण कराने की संभावना पर निर्देश लेने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने के संबंध में उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से पूछा है कि कोर्ट की निगरानी में शक्ति परीक्षण क्यों नहीं हो सकता? उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया गया था. जिसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
गौरतलब है कि उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को रोक लगा दी थी. एटॉनी जनरल ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट में कहा कि राष्ट्रपति शासन पर रोक हटाने का आदेश तब तक स्थगित कर देना चाहिए, जब तक हमें हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिलती. केंद्र सरकार ने लिखित आदेश के बगैर उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट की बैठक पर आपत्ति जतायी. उत्तराखंड सरकार ने इस बैठक में 11 अहम फैसले लिये थे.
उत्तराखंड में सियासी संकट की शुरुआत 18 मार्च को हुई. इस दिन कांग्रेस के 36 विधायकों में से नौ बागी हो गए और वित्त विधेयक पर मतदान के समय भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ नज़र आए.
इसी दिन कांग्रेस के बागी विधायकों और भारतीय जनता पार्टी के 27 विधायकों ने राज्यपाल केके पॉल से मुलाक़ात की और हरीश रावत सरकार को भंग करने की मांग की.
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा. लेकिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण के ठीक एक दिन पहले राज्य में राष्ट्पति शासन लागू कर दिया गया. इसी दिन उत्तराखंड के स्पीकर ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया.
हरीश रावत ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी. हाई कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को हटाते हुए हरीश रावत सरकार को बहाल कर दिया था और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था. लेकिन केंद्र ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
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