केदारनाथ में नई सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा
केदारनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अब दूर से ही देवदर्शनी के दर्शन हो जाएंगे. केदारनाथ मंदिर के आसपास की भूमि पर अब लगभग 50 फीट चौड़ी सड़क होगी.
केदारनाथ मंदिर |
इस सड़क के लिए केदारपुरी में भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है. निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के मद्देनजर यह सड़क बनाई जाएगी.
भूमि अधिग्रहण होने से मंदिर के आसपास चल रहे पुनर्निर्माण कार्य को गति मिलने की संभावना है. कर्नल कोठियाल ने बताया कि मंदिर के आसपास कई जर्जर भवन थे. इन भवनों के कारण पुनर्निर्माण के कार्य में बाधा आ रही है.
इस मामले में भवन स्वामियों से बात कर ली गई है, इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इस संबंध में डीएम डा. राघव लांगर ने बताया कि केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए 50 फुट चौड़ी सड़क तथा उसके दोनों ओर 30 फुट चौड़े क्षेत्र विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया है. उन्होंने बताया कि इस भूमि अधिग्रहण के लिये पिछले साढे तीन महीनों में राज्य सरकार और 327 परिवारों के बीच कुल 85 समझौतों पर दस्तखत किये गये हैं. उन्होंने ने बताया कि इस प्रक्रिया में सरकार को कुल 17.51 करोड़ रुपये का मुआवजा देना होगा.
उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को करीब साढे नौ करोड रुपये दिये जा चुके हैं जबकि जरूरी औपचारिकताओं के बाद बाकी धनराशि का भी भुगतान कर दिया जायेगा. जिलाधिकारी ने कहा कि कुल 4560.03 वर्ग मीटर निजी भूमि का अधिग्रहण किया गया तथा केदारपुरी में दूसरी जगह उसके बराबर भूमि उनके मालिकों को दे दी गयी.
उधर, डीएम राधव लंगर ने बताया कि वर्ष 2013 के मध्य जून में आई प्राकृतिक आपदा से सर्वाधिक तबाह हुए मंदिर के आसपास पुनर्निर्माण के लिये राज्य सरकार द्वारा बनाये गये मास्टर प्लान के अनुरूप विकसित की जाने वाली नयी सड़क पुरानी के मुकाबले काफी चौड़ी होगी. मंदिर के आसपास सघन निर्माण नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण बात है. भूमि अधिग्रहण होने से केदारनाथ में मास्टर प्लान को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है. यह मामला पिछले दो वर्ष से यह लंबित था.
लंगर ने कहा कि जिला प्रशासन, जन प्रतिनिधियों और केदारपुरी में आपदा आने से पहले अपनी निजी भूमि पर लॉज और धर्मशालाएं चलाने वाले तीर्थ पुरोहितों के बीच हुई कई दौर की बैठकों के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो सकी. उन्होंने कहा कि केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों को वार्ता के लिए तैयार करना और उनकी विभिन्न चिंताओं तथा बेचैनियों को दूर करना बहुत कठिन कार्य था. इसके लिए पिछले दो वर्ष में उनके साथ बहुत सारी बैठकें की गयीं, घंटों तक बातचीत चली और उनका भरोसा हासिल करने के लिये कई प्रकार के उपाय अपनाये गये.
जिलाधिकारी ने बताया कि सरस्वती नदी पर वैली ब्रिज को पार करने के बाद मंदिर के लिए प्रस्तावित 50 फुट चौड़ा रास्ता और उसके दोनों ओर 30-30 फीट के क्षेत्र में आने वाली इमारतों और भूमि को विशेष श्रेणी समूह में रखा गया और उनके मालिकों अर्थात तीर्थ पुरोहितों के लिये विशेष मुआवजा नियम बनाये गये हैं. उन्होंने बताया, तीर्थ पुरोहितों को कहा गया कि अगर वे अपनी निजी भूमि सरकार को देने तथा उसके बदले में और कहीं सरकारी जमीन लेने के लिये राजी हैं तो उन्हें विशेष मुआवजा दिया जाएगा. जिलाधिकारी को राज्य सरकार ने केदारनाथ में पुनर्वास के लिये पुनर्वास आयुक्त नामित किया है और इस मामले में किसी सैटलमेंट तक पहुंचने के लिए उन्हें विशेष अधिकार भी दिये गये हैं.
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