उत्तराखंड में बनेंगे और 11 इको सेंसिटिव जोन

Last Updated 25 Jun 2015 06:14:48 AM IST

उत्तरकाशी से गंगोत्री तक इको सेंसिटिव जोन का भले की कांग्रेस और भाजपा समेत सभी दल एकजुट होकर विरोध करते रहे हों लेकिन प्रदेश में अभी 11 इको सेंसिटिव जोन और बनेंगे.


उत्तराखंड में बनेंगे और 11 इको सेंसिटिव जोन

प्रमुख सचिव वन डॉ. रणवीर सिंह ने विधानसभा में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल की प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को प्रदेश सरकार ने अब तक जो सात इको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव भेजे थे, उनमें से तीन पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने आपत्तियां लगाकर वापस भेज दिया है और प्रदेश को प्रस्तावों में सुधार करके भेजने की ताकीद की है.

संपर्क करने पर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एके दत्ता ने बताया कि  तीन इको सेंसिटिव जोन के नक्शे व परिधि को लेकर केंद्र ने आपत्ति कर जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि अब जो भी प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाएंगे उन्हें पहले प्रदेश कैबिनेट मंजूर करेगी. केंद्र सरकार देश भर के 60 राष्ट्रीय पाकरे के चारों ओर इको सेंसिटिव जोन बनाने पर विचार कर रही है. प्रदेश में छह नेशनल पार्क हैं. ऐसे में वन विभाग का रुख क्या रहेगा.

इसके जवाब में पीसीसीएफ ने कहा कि चार नेशनल पाकरे के चारों ओर इको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव केंद्र को भेजे जा चुके हैं. गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय प्रदेश सरकार से कई बार राज्य में प्रस्तावित इको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव मांग चुका है, लेकिन केंद्र द्वारा भागीरथी नदी के दोनों ओर उत्तरकाशी से गंगोत्री तक इको सेंसिटिव जोन के नोटिफिकेशन के बाद स्थानीय जनता, भाजपा व कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया.

इस कारण प्रदेश सरकार ने केंद्र के बार-बार कहने के बावजूद इस बाबत कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा. यह बात और है कि जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद तब इको सेंसिटिव जोन विरोधियों के सुर नरम हो गए  थे और केदारनाथ आपदा से सबक लेते हुए अब 14 सितंबर 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक के बाद बताया गया था कि प्रदेश में मसूरी का विनोग वन्य जीव विहार, गोविंद पशु जीव विहार, फूलों की घाटी, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन के प्लान तैयार कर लिए गए हैं और अन्य संरक्षित क्षेत्रों का इको सेंसिटिव प्लान बनाया जा रहा है. तब यह भी तय हुआ था कि काब्रेट नेशनल पार्क का इको सेंसिटिव जोन फाइनल होने तक कार्बेट पार्क के नजदीक नए निर्माण में केवल प्रथम मंजिल तक के निर्माण की अनुमति दी जाए.

प्रदेश में छह नेशनल पार्क, छह वन्यजीव विहार, दो कंजरवेशन रिजर्व, एक बायोस्फेयर रिजर्व व दो वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं. अगर प्रदेश सरकार ने खुद इनके चारों ओर इको सेंसिटिव जोन घोषित नहीं किए तो केंद्र सरकार खुद ही इनके चारों ओर 10 किलोमीटर की परिधि में इको सेंसिटिव जोन घोषित कर देगी. इन क्षेत्रों में जो भी विकास कार्य होंगे उनके लिए पर्यावरण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा. दून घाटी भी वर्ष 1989 से इको सेंसिटिव जोन घोषित है.



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