हेमंत व चुफाल के खिलाफ केस वापस करने से इंकार

Last Updated 22 May 2015 06:00:01 AM IST

हल्द्वानी में वर्ष 2002 के बहुचर्चित प्रिंटिंग प्रेस में हुई चोरी के मामले में अदालत ने पूर्व पालिकाध्यक्ष हेमंत बगडवाल समेत चार अन्य लोगों को करारा झटका दिया है.


नैनीताल हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

अदालत ने प्रदेश सरकार के इस मामले में मुकदमा वापस लेने के निर्णय को खारिज कर दिया है.

इस मामले में छह लोगों को निचली अदालत ने वर्ष 2012 में तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई थी. इनमें से एक आरोपित राजेश हरबोला की  मौत हो चुकी है. राज्य सरकार ने पिछले दिनों डीएम नैनीताल को इन लोगों की समाज में मान-प्रतिष्ठा होने के मद्देनजर मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई करने को लिखा था. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नितिन शर्मा की अदालत ने फैसला देते हुए प्रदेश सरकार के मुकदमे वापस लेने के निर्णय को खारिज कर दिया है.

इस मामले में हल्द्वानी के पूर्व पालिकाध्यक्ष हेमंत बगडवाल, पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के पूर्व अध्यक्ष बलवंत सिंह चुफाल, जीवन चंद्र जोशी, अरुण पांडे, पूरन चंद्र उपाध्याय व दिवंगत हो चुके राजेश हरबोला को तीन दिसंबर 2012 में निचली अदालत तीन-तीन वर्ष की जेल की सजा सुना चुकी है. गौरतलब है कि आठ अगस्त 2014 को उत्तराखंड शासन में संयुक्त सचिव सुभाष चंद्र ने नैनीताल के डीएम को पत्र लिखकर सरकार बनाम बलवंत सिंह चुफाल के मामले में नामजद लोगों की ‘समाज में मान-प्रतिष्ठा’ बताते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 321 के अंतर्गत न्यायालय की अनुमति से मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई करने को कहा था.

इस पर सुनवाई के दौरान प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नितिन शर्मा की अदालत ने यह कहते हुए मुकदमा वापस लेने की याचिका को खारिज कर दिया कि अभियोजन पक्ष की ओर से में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने सरकार का मुकदमे वापस लेने का अनुरोध दोहराया, किंतु किन कारणों से मुकदमा वापस लिए जाएं, यह स्पष्ट नहीं किया तथा अपनी कोई स्वतंत्र राय भी नहीं दी.

जांच अधिकारी ने कहा था, सत्तारूढ़ दल की वजह से कोई कार्रवाई नहीं : मामले में वादी रमेश पांडे के अनुसार छह अगस्त 2002 को हल्द्वानी में पथिक प्रिंटिंग प्रेस का ताला तोड़कर प्रिंटिंग प्रेस सहित करीब चार कुंतल भारी मशीनरी आदि सामान चोरी चला गया था. रमेश की पत्नी ने पुलिस में बगडवाल व चुफाल सहित छह लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. मामले में पुलिस ने पहले मुकदमा दर्ज नहीं किया.

जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि आरोपित सत्तारूढ़ दल के हैं, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. जब निचली अदालत ने छह लोगों को सजा सुना दी तो 11 जुलाई 2013 को आरोपितों ने तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री रावत के समक्ष बचाने की गुहार लगाई. रावत ने इसी दिन यानी 11 जुलाई को ही तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को पत्र लिखकर उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का आग्रह किया था. बहुगुणा ने तो कार्रवाई नहीं की, लेकिन  रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने मामला वापस लेने की संस्तुति कर दी.



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