अक्षय तृतीया के मौके पर खुलेंगे गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट, चारधाम यात्रा होगी शुरू

Last Updated 21 Apr 2015 11:15:54 AM IST

बार-बार बारिश और बर्फबारी से मौसम के बदल रहे मिजाज के बीच मंगलवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की हिमालयी चारधाम यात्रा शुरू हो रही है.


(फाइल फोटो)

साल 2013 की भीषण आपदा के बाद तीर्थयात्रियों का रूख दोबारा प्रदेश की ओर करने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार ने उंची चोटियों पर हिमपात और निचले क्षेत्रों में बारिश होने से बार-बार मौसम में आ रहे बदलाव के बावजूद चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद होने का दावा किया है.

गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि मंगलवार दोपहर साढ़े बारह बजे कर्क लग्न में मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये जायेंगे.

उत्तरकाशी जिले में स्थित दूसरे प्रमुख धाम यमुनोत्री के कपाट भी मंगलवार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर खोले जायेंगे.

उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित चारधामों के नाम से विश्व प्रसिद्ध दो अन्य धामों, केदारनाथ के कपाट 24 अप्रैल को प्रात: साढ़े आठ बजे और बदरीनाथ के कपाट 26 अप्रैल को प्रात: पांच बज कर पंद्रह मिनट पर खोले जायेंगे.

रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम और चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम सहित चारों धाम दस हजार फीट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित होने के कारण सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहते हैं और इस कारण उन्हें हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिया जाता है.

अगले साल अप्रैल-मई में ये धाम दोबारा श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये जाते हैं. छह माह के यात्रा सीजन के दौरान देश विदेश से लाखों तीर्थयात्री और पर्यटक इन धामों के दर्शन के लिये उत्तराखंड आते हैं. चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ माना जाता है.

हालांकि, वर्ष 2013 में जून माह के मध्य में आयी भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद से उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गयी.

पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने बताया कि 2014 में प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.26 करोड़ रही जबकि 2013 में 2.09 करोड़ पर्यटक आये. आपदा से पहले वर्ष 2012 में प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.84 करोड़ थी.

राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं का भरोसा जीतने के लिये अन्य सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सुरक्षित उत्तराखंड अभियान भी चलाया.

चारों धामों का सड़क मार्ग से दौरा कर वापस आये पर्यटन सचिव उमाकांत पंवार की अगुवाई वाले वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने दावा किया कि यात्रा से संबंधित 95 फीसदी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और पिछले साल के मुकाबले इस साल सड़कों की दशा काफी बेहतर है.

उन्होंने कहा कि भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बारिश के कारण मलबा आने से कुछ स्थानों पर थोड़ी दिक्कत के अलावा मार्ग ठीक हैं.

पर्यटन सचिव पंवार ने कहा कि लामबगड़ और सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन में बारिश के कारण भूस्खलन की संभावना के मद्देनजर वहां जेसीबी मशीनें और अन्य उपकरण तैनात कर दिये गये हैं जिससे मार्ग तुरंत खोले जा सकें.



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