उत्तराखंड त्रासदी में मृत घोषित, परिजनों को मुआवजा-अब मिला
उत्तराखंड में त्रासदी के 21 माह बाद भी कई हिस्सों से मृत घोषित किये जा चुके लोगों के मिलने का सिलसिला जारी है.
जाको राखें सांइया मार सके न कोय (फाइल फोटो) |
उत्तराखंड में 2013 में आयी भीषण बाढ़ को राज्य सरकार भले ही भुला चुकी हो लेकिन त्रासदी के 21 माह बाद एक भी व्यक्ति मिला.
एक ताजा मामले में 2013 में 16-17 जून को आयी भीषण आपदा में लापता हो गये और बाद में सरकारी रिकार्डों में मृत घोषित कर दिये गये एक व्यक्ति के जीवित मिलने की बात सामने आयी है. 46 वर्षीय वह व्यक्ति मानसिक तौर पर असंतुलित स्थिति में उसके चचेरे भाई को रूद्रप्रयाग की सड़कों पर घूमता मिला.
केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि चमोली जिले के सिमटोली गांव का निवासी पुष्कर सिंह उसके चचेरे भाई संतोष कुमार को असंतुलित मानसिक स्थिति में रूद्रप्रयाग के निकट सड़क पर घूमता मिला.
सदमे में आवाज गई
अजय ने बताया, पुष्कर की टांग में फ्रेक्चर है और वह बोल भी नहीं पा रहा है. ऐसा लगता है कि आपदा को देखने के बाद वह सदमे की स्थिति के कारण बोल नहीं पा रहा है.
उन्होंने कहा कि पुष्कर के मिलने के बाद उसका चचेरा भाई उसे तुरंत उसके गांव ले गया और मुझे उसके बारे में बताया. जानकारी मिलने के बाद सोमवार हम उसे श्रीनगर मेडिकल कालेज अस्पताल ले गये जहां मनोचिकित्सकों ने बताया कि उसकी हालत सुधरने में कुछ समय लगेगा.
अजय ने बताया कि पुष्कर की टांग का आपरेशन किये जाने की भी जरूरत है. उन्होंने बताया कि हालांकि पुष्कर के परिजन उसे गांव वापस ले जा चुके हैं लेकिन चिकित्सकों ने उसे हर पखवाड़े में एक बार मेडिकल चेकअप की जरूरत बतायी है.
मुंबई में काम करने वाला पुष्कर 15 जून, 2013 को मोटरसाइकिल पर सवार होकर तिलवाड़ा से गौरीकुंड के लिये चला था. सोलह जून को आयी आपदा के बाद से वह लापता था. महीनों तक उसकी कोई खबर न मिलने पर राज्य सरकार ने उसे मृत घोषित कर दिया और उसके परिजनों को मुआवजा भी दे दिया.
पुष्कर की एक पत्नी और दो पुत्र हैं और सभी चमोली जिले के सिमटोली गांव में रहते हैं.
केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास समिति ने राज्य सरकार से पुष्कर के इलाज का सारा खर्च वहन करने की मांग करते हुए कहा है कि आपदा में लापता होने के बाद मृत घोषित कर दिये लोगों को ढूंढने के लिये दोबारा एक खोज अभियान चलाना चाहिये.
इससे पहले भी आपदा के दौरान लापता हो गयी और बाद में मृत घोषित कर दी गयी राजस्थान के अलवर जिले की रहने वाली एक महिला उत्तरकाशी जिले में मिली थी. हालांकि, आपदा के सदमे के कारण यह महिला भी अपने पति को नहीं पहचान पायी थी.
राज्य आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के अधिशासी अभियंता पीयूष रौतेला के अनुसार, वर्ष 2013 में आयी प्रलयकारी आपदा में कुल 4021 लोगों की जान चली गयी थीं जिनमें से कुछ के शव बरामद हो गये थे जबकि कुछ के लापता रहने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.
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