उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित
उत्तराखंड राज्य सचिवालय के कर्मचारियों ने अपनी सप्ताह भर पुरानी हड़ताल स्थगित कर दी.
सचिवालय कर्मियों की हड़ताल स्थगित (फाइल फोटो) |
उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप और मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये उनसे संबंधित फैसलों पर पुनर्विचार का आासन दिये जाने के बाद कर्मचारियों ने यह कदम उठाया.
सचिवालय के करीब 1200 कर्मचारी सप्ताह में कार्यदिवसों की संख्या पांच से बढ़ाकर छह करने और बायोमैट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य बनाये जाने के मंत्रिमंडल के फैसलों के विरोध में गत 12 नवंबर से हड़ताल पर थे.
उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ के महासचिव प्रदीप पपनै ने कहा कि कर्मचारियों ने इस मामले में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप और मुख्यमंत्री रावत सहित कई मंत्रियों द्वारा इस संबंध में मंत्रिमंडल की अगली बैठक में पुनर्विचार का आासन दिये जाने के चलते अपनी हड़ताल स्थगित कर दी है.
उधर, सचिवालय संघ द्वारा हड़ताल स्थगित किये जाने पर मुख्यमंत्री रावत ने प्रसन्नता व्यक्त की है और कहा है कि कर्मचारी सरकार का ही अंग हैं और सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता जनता की कठिनाइयों को दूर करना है.
यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि कर्मचारियों और अधिकारियों के लिये सरकार के द्वार हमेशा खुले हैं और वार्ता से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों की वाजिब मांगों को पूरा करने के लिये सदैव तत्पर रही है.
मुख्यमंत्री ने कर्मचारी नेताओं की नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने हड़ताल वापस लेकर उच्च न्यायालय के निर्णय के साथ ही जनभावनाओं का भी सम्मान किया है.
हालांकि, पपनै ने साफ किया कि अगर राज्य सरकार मंत्रिमंडल की अगली बैठक में इन फैसलों पर पुनर्विचार करने का अपना वादा नहीं निभाती तो कर्मचारी अपने आंदोलन को रणनीति बदल कर शुरू करेंगे जिसमें कार्य का समय समाप्त होते ही कार्यालय छोड़ दिया जायेगा.
कर्मचारी नेता ने कहा कि तत्कालीन नारायण दत्त तिवारी सरकार ने राज्य सचिवालय की देर तक काम करने की कार्यसंस्कृति को देखते हुए सप्ताह में पांच कार्यदिवस का नियम लागू किया था. सचिवालय कर्मचारियों के लिये बायोमैट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य बनाये जाने को भी कर्मचारियों ने भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा कि अगर इसे लागू किया जाता है तो इसके
तहत उच्च अधिकारियों को भी लाया जाना चाहिये.
कर्मचारियों का कहना है कि बायोमैट्रिक उपस्थिति को मुख्य सचिव से लेकर कर्मचारी स्तर तक सभी के लिये अनिवार्य बनाया जाना चाहिये और कर्मचारियों तथा अधिकारियों के लिये अलग-अलग नियम नहीं होने चाहिये.
पिछले सप्ताह हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सचिवालय में कार्य दिवसों की संख्या पांच से बढ़ाकर छह करने और बायोमैट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य बनाने का फैसला लिया गया जिसके तुरंत बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गये.
हालांकि, बाद में इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर दी गयी जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकार को तुरंत हड़ताल खत्म करवाने का आदेश दिया था.
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