उत्तराखंड में छापे में 103 करोड़ की कर चोरी पकड़ी

Last Updated 18 Sep 2014 03:23:35 AM IST

वाणिज्यकर विभाग की टीमों ने प्रदेश भर के कई व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापे मार कर 103 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी है.




उत्तराखंड में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापे मार कर 103 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी.

सूत्रों के अनुसार राज्य में फर्जी तरीके से आईटीसी प्राप्त करने वाली करीब 40 और फर्में जांच के दायरे में हैं. आने वाले कुछ  महीनों में इन पर भी कार्रवाई हो सकती है.
प्रदेश के वाणिज्य कर आयुक्त दिलीप जावलकर के निर्देश पर वाणिज्यकर विभाग की 15 टीमों ने देहरादून, हरिद्वार, रुड़की की कई फर्मों की जांच की. संयुक्त आयुक्त वित्तीय अनुसंधान शाखा एवं प्रवर्तन, हरिद्वार के नेतृत्व में विशेष अनुसंधान शाखा देहरादून एवं हरिद्वार की इकाइयों और देहरादून, हरिद्वार, रुड़की के अन्य अधिकारियों के सहयोग से फार्मासिटी सेलाकुई, देहरादून में स्थित निर्माण इकाई तथा उससे संबंधित देहरादून के चार तथा रुड़की के दो व्यापारियों के व्यापार स्थल की जांच की गई.

इस फर्म की जांच पर 28 करोड़ के टर्नओवर के खरीद बिक्री  पहली नजर में संदिग्ध पाई गई.  इसके अतिरिक्त भगवानपुर रुड़की स्थित फर्म जिसका मुख्य कार्यालय देहरादून में स्थित है तथा उससे जुड़े देहरादून, हरिद्वार, रुड़की के 14 व्यापारियों के व्यवसाय स्थल की जांच एक साथ की गयी.

जांच में खरीद विक्री से सम्बन्धित विभिन्न लेखा पुस्तकों को जब्त किया गया. प्रारम्भिक जांच के दौरान प्रथम दृष्टया लगभग 75 करोड़ रुपये का कर अपवंचित प्रकाश में आया है.  इस प्रकार दोनों मुख्य फर्मों की जांच तथा संबंधित व्यापारियों की प्रारम्भिक जांच पर कुल 103 करोड़ रुपये की अपवंचित राशि प्रकाश में आयी है, जिससे संबंधित व्यापरियों पर लगभग  5 करोड़ से अधिक की करदेयता बनती है. जब्त किये गये अभिलेखों की जांच जारी है, अपवंचित राशि के और अधिक बढ़ने की सम्भावना है. वाणिज्य कर विभाग के सूत्रों के अनुसार उक्त दोनों  फर्मों द्वारा फर्जी खरीद एवम् बिल की रसीदें लगाकर आईटीसी का लाभ प्राप्त किया जा रहा था.

ट्रांसलुमिया इस सेलाकुई स्थापित फर्म हृदय के वॉल्व का व्यापार कर रही थी जबकि दूसरी औटरो रिसायकिलिंग भगवानपुर द्वारा इलेक्ट्रानिक पार्ट की रिसायकलिंग कर उससे प्राप्त कीमती धातुओं का व्यापारकर रही थी. जांच टीम में उपायुक्त वित्तीय अनुसंधान व व प्रवर्तन नवीन चन्द्र जोशी, एसआई प्रमोद जोशी, वीवी सिंह वीएन पन्त, डॉ. सुनीता पांडेय, असिस्टेन्ट कमिश्नर अरविंद प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र राज चौहान,  दीपक बृजवाल, प्रीति मनराल,  मनीषा सैनी, विजय कुमार,सन्तोष कुमार, अंजली गुसांई एवं वाणिज्य कर अधिकारी अवनीश कुमार पांडेय एवं चंचल चौहान आदि शामिल थे.

कंप्यूटरीकरण से नजर रखना हुआ आसान : वाणिज्यकर आयुक्त दिलीप जावलकर का कहना है कि विभाग के कंप्यूटरीकरण के कारण संदिग्ध गतिविधि वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की कर चोरी पर नजर रखना आसान हो गया है. दिलीप जावलकर का कहना है कि पिछले कुछ समय में विभाग में कम्प्यूटरीकरण में काफी प्रगति हुई है, इसी वजह से कर चोरी व अन्य गड़बड़ियों के ये मामले प्रकाश में आए हैं.



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