Ayodhya Mosque Land Case: अयोध्या मस्जिद की आवंटित भूमि पर महिला का दावा

Last Updated 29 Jul 2024 07:08:32 AM IST

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में आवंटित की गई जमीन पर मस्जिद और अन्य सुविधाएं विकसित करने की परियोजना के क्रियान्वयन में एक नयी अड़चन पैदा होती नजर आ रही है।


अयोध्या मस्जिद की आवंटित भूमि पर महिला का दावा

दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर अपना मालिकाना हक होने का दावा करते हुए, उच्चतम न्यायालय का रुख करने की बात कही है।

हालांकि, मस्जिद के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तहत गठित ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’  का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है और इसी साल अक्टूबर से मस्जिद समेत पूरी परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।

दिल्ली की रहने वाली रानी पंजाबी नाम की महिला का दावा है कि प्रशासन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में जो पांच एकड़ जमीन आवंटित की है वह उसके मालिकाना हक वाले 28.35 एकड़ जमीन का ही एक हिस्सा है। 

रानी ने दावा किया कि मस्जिद के लिए आवंटित की गई जमीन उनके परिवार की है और उनके पास इसके मालिकाना हक के सभी दस्तावेज भी हैं।

रानी का कहना है कि उनके पिता ज्ञानचंद पंजाबी देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से फैजाबाद (अब अयोध्या जिला) आ गए थे और उन्हें वहां (पाकिस्तान स्थित पंजाब में) छोड़ी गई जमीन के एवज में धन्नीपुर में 28.35 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। इस जमीन पर उनका परिवार खेती-बारी किया करता था। वर्ष 1983 में उनके पिता की तबीयत खराब होने पर उनके इलाज के लिए परिवार दिल्ली में बस गया। उसके बाद से फैजाबाद स्थित उनकी जमीन पर कब्जा होता चला गया। 

रानी का कहना है कि उन्हें मस्जिद निर्माण से कोई एतराज नहीं है लेकिन वह चाहती हैं कि प्रशासन उनके पास मौजूद अभिलेखों के आधार पर उनकी जमीन की माप करवाकर उनके साथ न्याय करे।

शरीयत (इस्लामी कानून) के लिहाज से भी यह मामला महत्वपूर्ण बताया जा रहा है क्योंकि उलेमा (इस्लामी धर्म गुरुओं) के मुताबिक, इस्लाम में, किसी विवादित जमीन पर मस्जिद बनाना जायज नहीं माना जाता है। 

हालांकि, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और मस्जिद निर्माण के लिए गठित ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के प्रमुख जुफर फारूकी का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय वर्ष 2021 में ही रानी पंजाबी का दावा खारिज कर चुका है और अब मस्जिद निर्माण में कोई अड़चन नहीं है।

उन्होंने  कहा, ‘परियोजना में कोई अड़चन नहीं है। जहां तक जमीन पर महिला के (मालिकाना हक होने के) दावे की बात है तो उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय 2021 में ही खारिज कर चुका है। कुछ छोटी-मोटी समस्याएं हैं जिन्हें सुलझाया जा रहा है और उम्मीद है कि अक्टूबर तक परियोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।’

भाषा
लखनऊ


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