जानिए ज्ञानवापी केस का पूरा पूरा घटनाक्रम, कब क्या हुआ
वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। जानिए ज्ञानवापी केस के बारे में कि कब क्या हुआ।
![]() ज्ञानवापी मामला |
► 1998 : अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद का निर्णय दीवानी अदालत द्वारा नहीं किया जा सकता क्योंकि यह कानून द्वारा अनुमत नहीं था। हाईकोर्ट ने 22 साल के लिए कार्यवाही पर रोक लगा दी।
► 2019 : विवादित क्षेत्र में एएसआई द्वारा सर्वेक्षण की मांग को लेकर वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर
► 2020 : अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराने की मांग वाली याचिका का विरोध किया। याचिकाकर्ता ने 1991 की याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया
► 2021 मार्च : पूजा स्थल अधिनियम 1991 को तत्कालीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने लिया संज्ञान
► अगस्त : पांच महिला हिंदू भक्तों ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी परिसर के अंदर देवताओं हनुमान, नंदी और श्रृंगार गौरी की पूजा करने की मांग की
► सितंबर : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत को मामले के पहले से चल रहे मामलों में आगे के फैसले का इंतजार करना चाहिए
► 2022 अप्रैल : अगस्त 2021 में दायर याचिका के आधार पर वाराणसी जिला अदालत ने कोर्ट कमिश्नर और कॉम्प्लेक्स का वीडियोग्राफी सर्वे का निर्दश दिया। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन भी दाखिल की।
► 6 मई : वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण शुरू हुआ
► 14-19 मई : सर्वेक्षण फिर से शुरू, सभी सर्वेक्षण निष्कर्ष अदालत को एक रिपोर्ट में प्रस्तुत किए गए
► 20 मई : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की कार्यवाही जिला न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दी
► 26 मई : जिला अदालत ने मामले की सुनवाई योग्य याचिका पर सुनवाई शुरू की
► 18 जुलाई : सर्वोच्च न्यायालय ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से खोजे गए शिवलिंग के एएसआई द्वारा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत
► 24 अगस्त : वाराणसी कोर्ट ने 12 सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रखा।
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