प्रधानमंत्री मोदी बोले, परिवारवाद की राजनीति ने प्रतिभाओं का गला घोंटा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों। ये परिवारवाद ही है, जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।
![]() प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
प्रधानमंत्री मोदी आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव परौंख में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों को आड़े हांथों लिया और कहा कि आज जब हम लोकतंत्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं, तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों। ये परिवारवाद ही है, जो राजनीति ही नहीं,बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है। उन्होंने कहा कि मैं देख रहा हूं कि जो लोग परिवारवाद की मेरी व्याख्या में सही बैठते हैं, वो लोग मुझसे भड़के हुए हैं। देश के कोने-कोने में ये परिवारवादी मेरे खिलाफ एक जुट हो रहे हैं। वो इस बात से भी नाराज हैं कि क्यों देश का युवा परिवारवाद के खिलाफ मोदी की बातों को इतना गंभीरता से ले रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच सकता है। लेकिन, आज जब हम लोकतंत्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से सावधान रहने की जरूरत है।
मोदी ने कहा कि भारत का गांव जहां आध्यात्म भी हो आदर्श भी हो। भारत का गांव यानी जहां परंपराएं और प्रगतिशीलता भी हो, संस्कार और सहकार भी हो, ममता और समता भी हो। आज आजादी के अमृतकाल में ऐसे ही गांवों का पुनर्गठन पुनर्जागरण करना हमारा कर्त्वय है।
कहा कि भारत की आत्मा गांव में बसती है, क्योंकि गांव हमारी आत्माओं में बसता है। आज जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो ग्रामीण भारत के लिए हमारे गांवों के लिए, हमारे सपने और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को ग्राम को दे दिया था, जो आज ट्रेनिंग सेंटर बना है। परौंख विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा और देश के सामने ग्रामीण विकास का माडल पेश करेगा। हम कहीं भी क्यों न पहुंच जाएं बड़े बड़े शहरों में क्यों न बस जाएं, अगर हमने अपने गांव को जिया है, तो हमारा गांव हमारे भीतर से कभी नहीं निकलता है। वो हमारी रगों में बस जाता है, वो हमारी सोच में हमेशा रहता है।
उन्होंने कहा कि, मैंने गांव में भ्रमण के दौरान परौंख में कई आदर्श छवियों को महसूस किया। यहां सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। ये मंदिर इस गांव की अध्यात्मिक व धार्मिक छवि के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत का भी प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, परौंख की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं उसकी साक्षी दुनिया बन रही है। पद की मर्यादा से बाहर निकलकर उन्होंने मुझे हैरान कर दिया, वह मुझे हेलीपैड पर रिसीव करने आए, मैं बड़ी शमिर्ंदगी महसूस कर रहा था। जब मैंने यह बात कही तो उन्होंने कहा कि मैं यहां अतिथि का सत्कार करने आया हूं, मैं गांव के नागरिक के रूप में स्वागत कर रहा हूं। अतिथि देवो भव के संस्कार किस तरह हमारी रगों में पहुंचे हैं उसका उत्तम उदाहरण राष्ट्रपति जी ने पेश किया। इसके लिए मैं राष्ट्रपति जी को प्रणाम करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे पता चला कि पांचवीं के बाद उनका दाखिला पांच-छह मील दूर स्कूल में करा दिया गया था, तो वो नंगे पांव दौड़ते हुए जाते थे। ये दौड़ सेहत के लिए नहीं बल्कि इसलिए होती थी गर्मी की तपती धरती से पांव में छाले न पड़ें। पांचवीं में पढ़ने वाला बालक स्कूल के लिए तपती धरती पर नंगे पांव दौड़े जा रहा है, जीवन में ऐसा संघर्ष, ऐसी तपस्या जीवन में इंसान को इंसान बनने में बहुत मदद करती है। आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का अनुभव मेरे लिए सुखद स्मृति की तरह है।
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