योगी इफेक्ट: लखनऊ की मशहूर 'टुंडे कबाबी' दुकान पर मंडराया बंद होने का खतरा
उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर कार्रवाई का असर राजधानी लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाबों पर भी पड़ा है.
अब नहीं मिलेंंगे लखनऊ के मशहूर 'टुंडे कबाब' |
बड़े के मीट की दुकानें बंद होने की वजह से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में मशहूर 'टुंडे कबाबी' की दुकान बंद रही, वहीं रहीम के कुल्चे-नहारी की दुकान पर शाम से पहले ही नहारी खत्म हो गयी.
चौक के गोलदरवाजा स्थित टुंडे कबाबी की सबसे पुरानी दुकान के मालिक अबूबक्र ने बताया कि कबाब का स्वाद बड़े के कीमे से आता है. बुधवार सुबह से ही बड़े के मीट की दुकानें बंद होने की वजह से दुकान बंद करना पड़ा.
उन्होंने बताया कि इस दुकान पर न सिर्फ राजधानी बल्कि देश-विदेश से कबाब खाने के शौकीन आते हैं. बुधवार सुबह से ही तमाम लोगों के फोन आये कि उनकी दुकान बंद क्यों है.
रहीम के कुल्चे-नहारी सिर्फ राजधानी में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी मशहूर है. यहां के मालिक बिलाल अहमद ने बताया कि वैसे तो नहारी बकरे के मीट की भी बनती है, लेकिन बड़े के मीट की नहारी का जो स्वाद होता है उसका जवाब नहीं.
उन्होंने बताया कि उनके पास मंगलार को खरीदा गया थोड़ा बड़े का मीट था, जिसकी बुधवार को नहारी बनायी गयी. यह शाम से पहले ही खत्म हो गयी.
हालांकि कई दुकानदार राजधानी के आसपास के जिलों से चिकन मंगवाकर थोड़ा-बहुत डिलिवरी कर रहे हैं, लेकिन इससे न तो कर्मचारियों का भला हो पा रहा है और न ही ग्राहकों का.
हालांकि चौक के व्यवसायी राजेश कपूर कहते हैं कि शासन की कार्रवाई जायज है और इसे कड़ाई से लागू कराया जाना चाहिए.
बताया जाता है कि कई दुकानदार अब अपने मशहूर आइटमों में गोश्त के बजाय वेज सामान परोसने पर सोच रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ चिड़ियाघर के वन रेंजर पीयूष रंजन ने बताया कि उनके यहां पर वन्यजीवों को खिलाया जाने वाला पड़वे का मीट और अन्य नॉनवेज सामग्री की आपूर्ति की जा रही है. उनका कहना है कि कुछ लोग यह फर्जी अफवाह उड़ा रहे हैं कि उनके यहां पर वन्यजीव भूखे हैं.
चिड़ियाघर के ठेकेदार यासीन की फर्म को बाराबंकी से मीट की आपूर्ति हो रही है.
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