भोजपुर मुठभेड़ : प्रमोशन के लिए किया था फर्जी एनकाउंटर चार पुलिसवालों को उम्रकैद

Last Updated 23 Feb 2017 05:20:27 AM IST

भोजपुर फर्जी एनकाउंटर मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी करार चारों पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.




अशोक, जसवीर, जलालुद्दीन और प्रवेश (फर्जी मुठभेड़ में मारे गए मजदूरों के फाइल फोटो)

दुखद है कि फैसला होने में 20 साल लग गए. पुलिस ने प्रमोशन पाने के लिए इस मुठभेड़ में चार निदरेष दिहाड़ी मजदूरों को मार डाला था. अदालत ने इस मामले में भोजपुर के तत्कालीन एसओ (रिटार्यड सीओ) लाल सिंह पर दो लाख तीस हजार रुपए, एसआई जोगिन्द्र सिंह पर एक लाख तीस हजार रुपए, सिपाही सुभाष चंद व सूर्यभान पर अलग-अलग 80-80 हजार रुपए जुर्माना भी किया है.

अदालत ने जुर्माने की आधी धनराशि मुठभेड़ में मारे गए चारों युवाओं के परिजनों को बराबर-बराबर देने का भी आदेश दिया है. जुर्माना अदा न करने की दशा में दोषियों को तीन माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.

गौरतलब है कि 8 नवम्बर 1996 को हुई इस फर्जी मुठभेड़ पर अदालत का यह निर्णय 20 साल मुकदमा चलने के बाद आया है. अदालत ने सोमवार को इस मामले में एक रिटार्यड सीओ (तत्कालीन एसओ) समेत समेत चार पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था. इस मामले के एक अन्य आरोपी रणवीर की पहले ही मौत हो चुकी है.

गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत में पेश मामले के अनुसार वर्ष 1996 में 8 नवम्बर की रात भोजपुर थाने की पुलिस ने भोजपुर के चार युवकों जलालुद्दीन, प्रवेश, अशोक व जसबीर को बदमाश बताकर मुठभेड़ में मार गिराया था. खास बात यह कि मुठभेड़ में मारे गए चारों युवकों का पुलिस कोई आपराधिक इतिहास भी अदालत के समक्ष पेश नहीं कर पाई.

अभियोजन ने की मृत्युदंड की मांग : बुधवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत में सीबीआई के लोक अभियोजक राजन दहिया ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर बता दोषियों को कठोरतम सजा मृत्युदंड देने की मांग की. सीबीआई के अभियोजक राजन दहिया ने कहा कि यह मामला कोल्ड ब्लडेड र्मडर का है, इसमें रक्षक ही भक्षक बन गए. पुलिसकर्मियों ने उस वर्दी का दुरुपयोग किया जो उन्हें जनता रक्षा के लिए दी गई थी. 

बचाव पक्ष ने की सजा में नरमी की अपील : वहीं बचाव पक्ष के वकील एससी सक्सेना ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता अभियोजन पक्ष की मृत्युदंड देने की मांग का विरोध किया. बचाव पक्ष के वकील ने यह भी दलील दी कि उनके मुवक्किलों को पुलिस विभाग ने दोषी नहीं माना, उन्हें मुठभेड़ के लिए कोई प्रमोशन नहीं  मिला.

समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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