मायावती के करीबी ब्रजेश पाठक भाजपा में
बहुजन समाज पार्टी की ओर से आगरा रैली में पार्टी सुप्रीमो मायावती के ताकत दिखाने के बाद ही पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक ने भाजपा में शामिल होकर बसपा की चुनावी तैयारी को बड़ा झटका दिया है.
बसपा के पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक (फाइल फोटो) |
मायावती के निकटतम रहे ब्रजेश पाठक बसपा में ब्राह्मण चेहरा थे और उनके बसपा का दामन छोड़ने से यह संदेश जा रहा है कि उप्र में चुनावी माहौल बनाने की लड़ाई में बसपा पिछड़ रही है.
भाजपा के केंद्रीय दफ्तर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में ब्रजेश पाठक ने सदस्यता ग्रहण की. लखनऊ विविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे पाठक सबसे पहले 2004 में उन्नाव लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुने गए थे और लोकसभा में बसपा के उपनेता भी रहे. वह 2008 में राज्यसभा में चुने गए और 2014 तक राज्यसभा सदस्य रहे.
भाजपा महासचिव अरुण कुमार सिंह ने पाठक को अंगवस्त्र पहना कर पार्टी में स्वागत किया.
पाठक ने दस रुपए सदस्यता शुल्क दिया तो सिंह ने उन्हें उसकी रसीद प्रदान की. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा तथा भाजपा महासचिव अनिल जैन भी उपस्थित थे. आठ अगस्त को बसपा के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थामा था.
पाठक ने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश में भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी चरम पर पहुंच गई है. सर्वसमाज की घोर उपेक्षा हो रही है. इन परिस्थितियों में उन्हें महसूस हुआ कि अगर वह अभी निर्णय नहीं लेते हैं तो उत्तर प्रदेश को कोई नहीं बचा पाएगा.
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