उत्तर प्रदेश राज्यकर्मियों को 26000 से कम न्यूनतम वेतन स्वीकार नहीं
अजय सिंह के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर राज्यकर्मियों ने लखनऊ स्थित जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के समक्ष चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत करते हुए धरना दिया.
26 हजार से कम न्यूनतम वेतन स्वीकार नहीं (फाइल फोटो) |
इस दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांगों का एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया. संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि 19 दिसम्बर को होने वाली प्रांतीय बैठक में आगे के आंदोलन की रणनीति तैयार कर इसका ऐलान किया जाएगा. धरना के दौरान हुई सभा को सम्बोधित करते हुए महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सूबे ही नहीं समूचे देश का राज्य कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट अब तक की सबसे खराब रिपोर्ट है. सिंह ने कहा कि डा. आक्राइट फार्मूले के अनुसार कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये होता है जबकि वेतन आयोग के इस फार्मूले के अनुसार न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रतिमाह दर्शाया गया है.
उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारियों को प्रतिमाह 26,000 रुपये से कम न्यूनतम वेतन स्वीकार नहीं है. उन्होनें कहा कि कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ भी रिपोर्ट में खिलवाड़ किया गया है. अजय सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर 8 दिसम्बर को देशभर के राज्य कर्मचारी नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर धरना देंगे.
सभा का संचालन करते हुए संगठन के प्रांतीय महामंत्री बजरंग बली यादव ने कहा कि देशभर के कर्मचारियों ने लामबंद होकर सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को नकारा है. उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामसुरेश ने कहा कि प्रदेश का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी करेगा.
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