लापता होने के आधार पर हत्या का दोषी ठहराना न्याय का मखौलः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अभियुक्त को 5 साल तक लापता रहने के आधार पर हत्या का दोषी ठहराने को न्याय के साथ मजाक करार दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो) |
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराध में लिप्त होने के परोक्ष या अपरोक्ष सबूत के बगैर दोषी करार देकर दी गयी आजीवन कारावास व एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा को निराधार मानते हुए रद कर दिया है.
आरोपी घटना के समय से पांच साल तक फरार था, इस कारण कोर्ट ने उसकी फरारी के आधार पर हत्या का दोषी करार दिया था. आरोपी अभिषेक कुमार उर्फ पिंटू को निदरेष करार देते हुए कोर्ट ने उसकी तत्काल रिहाई का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले बलिया के अपर सत्र न्यायाधीश डीपीएन सिंह को भविष्य में सावधान रहने की हिदायत दी है. साथ ही आदेश की प्रति बलिया जिले के प्रशासनिक न्यायाधीश को पत्रावली के साथ भेज दी है.
कोर्ट ने अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अभियुक्त को 5 साल तक लापता रहने के आधार पर हत्या का दोषी ठहराने को न्याय के साथ मजाक करार दिया और कहा कि जज ने बचकानी हरकत की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने हत्या आरेापी रसड़ा बलिया के अभिषेक कुमार उर्फ पिंटू की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.
गौरतलब है कि रसड़ा के पेट्रोलपम्प कर्मी कमालुद्दीन ने पुलिस को सिधागर घाट पर लाश की सूचना दी. लाश लवकुश की थी. स्कूटर व धन लूटने तथा हत्या करने के आरोप में अपीलार्थी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी. किसी ने भी मृतक के साथ आरोपी को नहीं देखा था और न ही आरोपी के पास से कुछ भी बरामद हुआ. वह बस घर से लापता था.
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