हाशिमपुरा कांड: निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी यूपी सरकार

Last Updated 19 May 2015 07:08:20 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार हाशिमपुरा में करीब 28 साल पहले हुए सामूहिक नरसंहार मामले में निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगी.


हाशिमपुरा कांड (फाइल)

मुस्लिम वोटों पर नजर लगाये उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार मेरठ के हाशिमपुरा में हुए सामूहिक नरसंहार मामले में आरोपी पीएसी के 16 जवानों को रिहा किये जाने के निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में बहुत जल्द चुनौती देगी.
   
हाशिमपुरा कांड के पीड़ितों के मंगलवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात किये जाने के बाद प्रदेश के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने बताया कि हाशिमपुरा में वर्ष 1987 में 40 से ज्यादा मुसलमानों की पीएसी जवानों द्वारा सामूहिक हत्या करके शव नहर में फेंके जाने के मामले में दिल्ली की निचली अदालत के फैसले के खिलाफ वहीं के उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की जा रही है. उम्मीद है कि 22 या 25 मई को इसे दाखिल कर दिया जाएगा.
   
उन्होंने कहा कि इसके लिये गत 15 मई को दिल्ली में सम्बन्धित वकीलों को अपील का मसविदा भेज दिया गया है. उनकी तरफ से राय मिलते ही अपील दाखिल कर दी जाएगी. इसके लिये वह खुद दिल्ली जाएंगे.
   
जीलानी ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द अपील दाखिल करने की इच्छुक है. कोशिश रहेगी कि 29 मई से अदालत में ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले यह काम मुकम्मल हो जाए.
   
गौरतलब है कि 22 मई 1987 को मेरठ के हाशिमपुरा में कथित रूप से पीएसी के जवानों ने करीब 42 मुस्लिम युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उनके शव एक नहर में फेंक दिये थे. इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत ने गत 21 मार्च को निर्णय सुनाते हुए सभी 16 आरोपी पीएसी जवानों को सुबूत के अभाव में बरी कर दिया था.
   
इससे पहले, जमीयत उलमा-ए-हिन्द नेताओं तथा हाशिमपुरा कांड से पीड़ित लोगों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने मंगलवार को मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की.
   
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के प्रान्तीय अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने बताया कि यादव ने प्रतिनिधिमण्डल को विश्वास दिलाया है कि हाशिमपुरा सामूहिक हत्याकांड में निचली अदालत के फैसले को सपा सरकार उच्च न्यायालय में चुनौती देगी.
   
उन्होंने बताया कि सपा मुखिया ने हाशिमपुरा कांड के पीड़ित पांच शेष लोगों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिलाने का भी भरोसा दिलाया है.
   
गौरतलब है कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, शिया पर्सनल लॉ बोर्ड तथा जमीयत उलमा-ए-हिन्द समेत कई मुस्लिम संगठनों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मेरठ के हाशिमपुरा जनसंहार मामले के सभी आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने की मांग की थी.
   
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना निजामउद्दीन का कहना था कि निचली अदालत में जो फैसला 28 साल बाद आया, वह सरकार की नाकामी और लापरवाही का नतीजा है. निचली अदालत ने सुबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन साथ ही यह माना भी है कि हाशिमपुरा में कत्लेआम हुआ था. अब सरकार को चाहिये कि वह उसके फैसले को ऊंची अदालत में चुनौती दे.
   
शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने भी कहा था कि इंसानियत को झकझोरने वाले हाशिमपुरा मामले में किसी को भी मुजरिम ना ठहराया जाना एक विडम्बनापूर्ण घटना है. राज्य सरकार को इस मामले को ऊंची अदालत में ले ही जाना चाहिये.
   
मामले के पीड़ितों ने भी निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है.



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