उ़त्तर प्रदेश में बरसात से लबालब खेतों में सड़ने लगी फसल
उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर लगातार चौथे दिन बेमौसम बरसात के पानी से लबालब हो गए खेतों से अब फसल के सड़ने की बदबू आने लगी है.
खेतों में सड़ने लगी फसल (फाइल फोटो) |
तकरीबन एक माह से हो रही बारिश को सूबे की सरकार आपदा घोषित कर चुकी है. इस बरसात से खेतों की खडी फसल बर्बाद हो जाने से किसान तबाह हो चुके हैं. असमय हुई बारिश की वजह से खेतों में गिरी फसल पर हंसिया चलाने के बाद जो हाथ में आता है उसे देखकर आंसू निकल आते हैं.
उस पर सितम ये है कि मजदूरों का भी टोटा है. जो मिल रहे हैं वे इतना मेहनताना मांग रहे हैं जिसे दे पाना किसान के बस के बाहर है.
खेतों में पसरी इस तबाही के बीच अन्नदाता गेहूं के बचे.खुचे दाने तलाश रहा है. प्रकृति के प्रकोप से जो दाने किसी तरह बच गए उन्हें सहेजना भी बड़ी चुनौती बन गई है. बारिश से हालात इस कदर भयावह हो चुके है कि राज्य के अनेक स्थानों पर अब पशुओं के चारे के लिए भूसा भी नहीं बचा है.
एक महीने से असमय हो रही बरसात, आंधी और ओलावृष्टि से खेतों में बिछी पडी और कटी पडी फसल पानी में समायी हुई है.
रविवार को हुई तेज बरसात के बाद सोमवार को सूबे के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि के साथ बरसात हुई. मंगलवार को कुछ कम बारिश हुई तो राज्य के कई स्थानों पर बुधवार को आसमान से फिर आफत बरसी.
किसानों का कहना है कि इस बरसात ने चारे की भी आस नहीं छोडी है. बुधवार को बारिश ने रही सही कसर पूरी कर दी है अब साल भर के लिए अनाज भी नहीं मिलेगा और जानवरों के चारे की समास्या पैदा हो जायेगी.
सैकडों भूमिहीन, जिन्होंने पटटे या किराए पर खेत लेकर फसल उगाई फसल बर्बाद होने पर उनको मुआवजा भी नहीं मिलेगा. फसल बर्बादी का मुआवजा सरकार खेत के मालिक को देती है क्योकि सरकार किसान से मानती है जिसके नाम जमीन हो. भूमिहीन किसानों को राहत दिलाने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है.
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